दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (17 मई) को कहा कि ‘किसी व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ सकता है’ लेकिन ‘देश को सर्वोपरि’ रखा जाना चाहिए और अदालत ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) पर छोड़ दिया कि वह फैसला करे कि रियो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता के पुरुष 74 किग्रा वर्ग में कौन भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। यह मुद्दा भारत के दो शीर्ष पहलवानों सुशील कुमार और नरसिंह पंचम यादव के बीच विवाद बना हुआ है। डब्ल्यूएफआई के वकील ने आरोप लगाया कि दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील ओलंपिक स्थान पाने के लिए प्रधानमंत्री और मीडिया से संपर्क कर रहे हैं जबकि विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में नरसिंह ने कांस्य पदक जीता था। अदालत ने इसके बाद यह टिप्पणी की।

सुशील के वकील ने जब डब्ल्यूएफआई को जून के पहले हफ्ते में ट्रायल कराने का निर्देश देने के लिए जोर दिया तो न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘भारतीय संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा। हम इस समय ऐसा नहीं कर सकते। भारत को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। व्यक्तिगत लोगों को नुकसान हो सकता है लेकिन देश को सर्वोच्च रखना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (डब्ल्यूएफआई के वकील) संबंधित तथ्य बताए हैं। वे (डब्ल्यूएफआई) वह लोग हैं जिन्हें फैसला करना है। मैं अंतिम विकल्प के रूप में ही हस्तक्षेप करूंगा। आप इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि उनमें से एक (नरसिंह) ने भारत को ओलंपिक में जगह दिलाई है।’

डब्ल्यूएफआई को सुशील का पक्ष सुनने का निर्देश देने वाली अदालत ने इस दिग्गज पहलवान के वकील से कहा, ‘आप दोनों (सुशील और नरसिंह) बराबरी पर हो। मैं इस पर फैसला कैसे कर सकता हूं। वे (डब्ल्यूएफआई) इस मामले में विशेषज्ञ हैं। पहले उन्हें फैसला करने दीजिए। मैं इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।’ सुनवाई के दौरान डब्ल्यूएफआई के वकील ने कहा, ‘वह (सुशील) प्रधानमंत्री और मीडिया के पास जा रहा है।’ इस पर सुशील के वकील ने कहा, ‘मैं जा रहा हूं क्योंकि मुझे महासंघ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।’

सुनवाई के अंतिम हिस्से में अदालत ने डब्ल्यूएफआई को यह मुद्दा सुलझाने को कहा और साथ ही टिप्पणी की, ‘मुझे लगता है कि सभी को ट्रेनिंग पर ध्यान देना चाहिए। आप इस तरह के विवाद नही होने दे सकते। ये खिलाड़ी ध्यान कैसे लगाएंगे।’ अदालत सुशील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने ओलंपिक 2016 की कुश्ती प्रतियोगिता के पुरुष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत के प्रतिनिधित्व को लेकर फैसला करने के लिए डब्ल्यूएफआई को चयन ट्रायल कराने का निर्देश देने की मांग की है।

अदालत ने डब्ल्यूएफआई से कहा कि वह इस मुद्दे पर सुशील का पक्ष सुने। अदालत ने महासंघ के वकील से कहा, ‘इस व्यक्ति ने अतीत में काफी कुछ किया है। आप (डब्ल्यूएफआई) उसे श्रेय नहीं छीन सकते। आप उससे बात कीजिए और फैसला कीजिए।’ उन्होंने कहा, ‘वह महासंघ का सम्मानित सदस्य होना चाहिए। उसने पदक जीते हैं। आप उसे सारी चीजें बताइये और एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में वह आपकी बात सुनेगा। उसकी मर्यादा और सम्मान बरकरार रखिये और इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कीजिए।’

अदालत ने डब्ल्यूएफआई और खेल मंत्रालय को भी सुशील की याचिका पर नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगते हुए 23 मई तक हलफनामा दायर करने को कहा। इसका जवाब देते हुए सुशील को एक या दो दिन में हलफनामा देने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान सुशील भी अदालत में मौजूद थे। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को तय की है। सुनवाई की शुरुआत में सुशील के वकील ने कहा 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में ओलंपिक स्थान के दो दावेदार हैं। सुशील के वकील ने कहा, ‘विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप जुलाई 2015 में हुई। मैं चोट के कारण विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाया। एक अन्य पहलवान विश्व चैम्पियनशिप के लिए गया और उसे पदक और ओलंपिक कोटा जीता।’

वकील ने कहा, ‘महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ओलंपिक के लिए भारत सरकार की योजना के तहत उन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए कोष मिल रहा है जिनमें ओलंपिक में पदक जीतने की क्षमता है। यचिकाकर्ता (सुशील) को चैम्पियनशिप में नरसिंह यादव के कांस्य पदक जीतने के बाद भी कोष मिल रहा है। रियो ओलंपिक 2016 के लिए चुनौती पेश करने का मेरे पास कारण है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे भ्रमित करने वाले संकेत दिए गए और डब्ल्यूएफआई ने कोई जवाब नहीं दिया। अगर चयन ट्रायल होते हैं तो मैं इससे चूकना नहीं चाहता। डब्ल्यूएफआई दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।’

इस पर अदालत ने कहा, ‘देखिए, आप दूसरे व्यक्ति (नरसिंह) को कमतर नहीं कर सकते। उसने भी पदक जीता है। आप दोनों अच्छे हैं।’ इसके जवाब में डब्ल्यूएफआई की ओर से अदालत में पेश वकील ने कहा कि सुशील जनवरी 2014 तक 66 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में हिस्सा लेता रहा है और अब वह 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेना चाहता है। डब्ल्यूएफआई के वकील ने कहा, ‘नरसिंह यादव 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेता रहा है और उसने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक भी जीता जो ओलंपिक से भी अधिक कड़ी प्रतियोगिता है।’

डब्ल्यूएफआई के वकील ने दावा किया कि सुशील नरसिंह के साथ कुश्ती से बच रहा है और उसने विश्व चैम्पियनशिप में भी हिस्सा नहीं लिया जबकि नरसिंह ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने डब्ल्यूएफआई के वकील से पूछा, ‘क्या आपने फैसला कर लिया है।’ इसके जवाब में वकील ने कहा, ‘हां, नाम भेज दिए गए हैं।’ वकील ने हालांकि कहा कि वे इस मामले में विस्तृत जवाब देंगे। डब्ल्यूएफआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही फैसला किया जा चुका है जिस पर पीठ ने कहा, ‘आप उसे (सुशील) बुलाकर फैसले को विस्तार से बता सकते हो।’

इस पर डब्ल्यूएफआई के वकील ने कहा, ‘उसे (सुशील को) सब कुछ पता है लेकिन वह समझने को तैयार नहीं है।’ इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘इस व्यक्ति (सुशील) ने देश को गौरवांवित किया है। उसने जो कारण बताए हैं उनमें दम है और वह जो कह रहा है उसमें मुझे कुछ भी दुर्भावनापूर्ण नहीं लग रहा।’