दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले वर्ष 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान अपने रवैये के लिए एक बार फिर खेद प्रकट करते हए आप नेता अरविंद केजरीवाल ने फिर से इस्तीफा नहीं देने का वादा किया।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘दिल्ली में काफी लोग महसूस करते हैं कि हमारे कदम से उनका मनोबल गिरा है। मई में (पिछले वर्ष) हमने इसके कारण उत्पन्न निराशा के लिए लोगों से माफी मांगी थी और अगर पहली बार आपके ध्यान में यह बात नहीं आई तब में एक बार फिर ऐसा करता हूं ताकि आप स्पष्ट रूप से सुन सकें।’’
केजरीवाल ने एनडीटीवी की वेबसाइट पर लिखा, ‘‘हम झूठ नहीं बोलते, हमने कुछ नहीं चुराया। हालांकि मैं मानता हूं कि लोग हमारे कदम से अभी भी आहत हैं क्योंकि आप जिन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, वह हम लोगों से बड़े हैं। लोगों ने आहत महसूस किया क्योंकि उन्होंने पार्टी एवं आंदोलन में काफी कुछ दांव पर लगाया।’’
केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के रूप में 49 दिनों के कार्यकाल के बाद पिछले वर्ष 14 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। इस तरह से बीच में इस्तीफा देने को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी। पिछले चुनाव में 70 सदस्यीय विधानसभा में आप को 28 सीटें मिली थी और उसने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी।
केजरीवाल ने बाद में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पराजित हुए थे। उन्होंने जोर दिया कि जैसा आमतौर पर समझा जा रहा है, उनके दिल्ली के मुख्यमंत्री पद को छोड़ने का कारण वह नहीं है।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘आम तौर पर ऐसा समझा जा रहा है कि मैंने लोकसभा चुनाव लड़ने और प्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी। ऐसा नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही उन्होंने दिल्ली में फिर से चुनाव कराने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दिल्ली में चुनाव नहीं हुए। शायद हम ज्यादा भरोसा कर रहे थे। यह एक गलती थी और ईमानदार गलती थी। लेकिन साथ ही गलती थी।
2013 के विधानसभा चुनाव के माहौल को याद करते हुए केजरीवाल ने कहा कि तब हजारों की संख्या में युवा पुरूषों और महिलाओं ने वह किया जो पहले नहीं हुआ था। लोग खाने की मेज पर परिवार के सदस्यों के साथ राजनीति पर चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने नयी पार्टी के लिए अपनी गाढ़ी कमाई के पैसे चेक के रूप में दिए।