युवा नृत्यांगनाओं को गुरु का सानिध्य और मार्गदर्शन मिलता है, तो कुछ सुंदर रचनात्मक चीजों की संरचना होती है। पंच भूत-क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर की इनके महत्व को दर्शाती हुई, नृत्य रचना ‘शून्य से शून्य तक’ पेश की गई। यह वेदों के सूक्तों के जरिए पिरोई गई थी। इस प्रस्तुति की नृत्य परिकल्पना नृत्य गुरु अल्पना नायक ने की थी। इसकी संगीत रचना गायक प्रशांत बेहरा और पखावज वादक प्रफुल मंगराज ने की थी। इसमें प्रकृति की पावनता को युवा नृत्यांगनाओं ने सामूहिक रूप से सहजता से दर्शाया।

कलाकारों ने मयूर की गति, बारिश, अग्नि, आकाश और वायु की गतियों को हस्तकों और भावों के माध्यम से चित्रित किया। प्राप्ति, शुभांशी, यशिका, प्रगति और पीहू ने इस नृत्य रचना को पेश किया। बीती 22 अगस्त को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में नृत्य समारोह भूमि प्रणाम आयोजित हुआ। इसमें युवा नृत्यांगना दिशा का मंच प्रवेश भी हुआ। दिशा कई वर्षों से ओडिशी नृत्यांगना अल्पना नायक से नृत्य सीख रही हैं। समय-समय पर अपनी गुरु के साथ अनेक मंचों से नृत्य प्रस्तुत कर चुकी हैं। दिशा की पहली पेशकश मंगलाचरण थी। इसमें गणपति की स्तुति पेश की गई। रचना ‘वक्रतुंड महाकाया सूर्यकोटि’ पर आधारित नृत्य में दिशा ने गणपति के रूप को उकेरा। उन्होंने कई छंदों पर लयात्मक गतियों को पेश किया। उनकी अगली पेशकश कीरवाणी पल्लवी थी। यह राग किरवाणी और खेम्टा ताल में निबद्ध थी।

नृत्यांगना ने ओडिशी नृत्य की तकनीकी बारीकियों को पेश करने के क्रम में विभिन्न गतियों, दृष्टि भेद, ग्रीवा भेद, सिरो भेद, हस्तकों और भंगिमाओं का प्रयोग किया। उन्होंने अभिनय के लिए उड़िया गीत का चयन किया था। गोपाल कृष्ण पटनायक की रचना के बोल थे-‘तो लागी गोपदंड मन रे’। गुरु केलुचरण महापात्र की नृत्य रचना अपने-आप में अनूठी है। इसे बहुत से कलाकार पेश करते हैं। दिशा ने अपनी क्षमता के अनुरूप राधा और कृष्ण के भावों को चित्रित किया। यह राग शंकराभरणम और खेम्टा ताल में निबद्ध था। दिशा ने जयदेव की रचना ‘श्रीतकमल कुच मंडल हरि’ पर आधारित नृत्य पेश किया। भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों के साथ-साथ कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को दर्शाया। दिशा की तैयारी अच्छी है।

उनमें आत्मविश्वास भी ठीक-ठाक है। लेकिन, अभी उन्हें थोड़े से और रियाज की जरूरत है। वैसे भी शास्त्रीय नृत्य एक लंबी यात्रा है। सभी वरिष्ठ कलाकार यही कहते सुने जाते हैं कि अभी तो मैं सीख रहा हूं।एक अन्य अरंगेत्रम समारोह में नृत्यांगना रुचि गुप्ता की शिष्या प्रतिष्ठा रमन आर्य ने नृत्य पेश किया। प्रतिष्ठा ने पुष्पांजलि, अलरिपु, जतीस्वरम, शब्दम, वरणम, तिल्लाना आदि पेश किया। उन्होंने कनक दास की रचना ‘बारो कृष्णैया’ और महाराजा स्वाति तिरूनाल की रचना ‘शंकर श्री गिरि’ पर भावों को दर्शाया। उनके साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-रुचि गुप्ता, रजत प्रसन्ना, एन पद्मनाभम व के वेंकटेश्वरन।