केंद्रीय सूचना आयोग ने रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को आरटीआई एक्ट (सूचना का अधिकार) विरोधी नीति के लिए कड़ी फटकार लगाई है। आयोग ने आरबीआई से कहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2015 में दिए गए फैसले के अनुसार, स्वेच्छा से कर्ज न चुकाने वाले देनदारों के नामों की सूची 45 दिन में सार्वजनिक करे। केंद्रीय सूचना आयोग ने हाल ही में रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में गर्वनर उर्जित पटेल से ये सफाई मांगी गई थी कि वह कारण बताएं कि आखिर क्यों कर्ज को स्वेच्छा से अदा न करने वाले देनदारों के नामों को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है? बाद में सूचना आयोग ने आरबीआई को 10 दिनों की राहत देते हुए 26 नवंबर तक नोटिस का जवाब देने के लिए कहा था।
सूचना आयुक्त एम. श्रीधर अचर्यालु ने ये नोटिस 2 नवंबर को जारी किया था। नोटिस का जवाब उर्जित पटेल को 16 नवंबर तक देने के लिए कहा गया था। अचर्यालु मंगलवार (20 नवंबर, 2018) को रिटायर होने वाले हैं लेकिन उन्होंने ये मामला उससे पहले ही शुक्रवार (16 नवंबर, 2018) को सुना और रिजर्व बैंक द्वारा मांगी गई 26 नवंबर की तिथि को मंजूरी दे दी। अपने 67 पेज के आदेश में अचर्यालु ने कहा,”आयोग दृढ़ता से तुरंत सुधार, उचित कार्यवाही और आरबीआई की आरटीआई विरोधी नीति के विरुद्ध उचित कार्रवाई की सलाह देता है।”
केंद्रीय सूचना आयुक्त ने आरबीआई की किसानों की आत्महत्या के लिए आलोचना की और गोपनीयता बनाए रखने की आरबीआई की दलील और नीति की दुहाई को नकार दिया। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कहा,” किसान बैंक के छोटे कर्ज को न चुका पाने पर शर्म के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। ये तब होता है जब बैंक लाखों-करोड़ों रुपये अपनी बैलेंसशीट को साफ करने के लिए बट्टे-खाते में डाल देते हैं। बैंक क्यों ये सोचते हैं कि ये उनका कानूनी कर्तव्य है कि वह स्वेच्छा से कर्ज अदा न करने वाले देनदारों का नाम उजागर करके उन्हें शर्मिंदा न करें? ये पूरी तरह से गलत और गैरजिम्मेदाराना तर्क है। ये बैकों के किसान विरोधी और अमीरों के हितैषी होना बताता है।
आदेश में आगे कहा गया कि आयोग, रिजर्व बैंक की आरटीआई विंग को ये भी निर्देश देता है कि वह जानकारी देने के लिए अपने सेक्शन 4 (आरटीआई एक्ट के तहत स्वैच्छिक खुलासा) में संशोधन, सुधार करे और समय—समय पर उसकी समीक्षा भी करता रहे। अचर्यालु ने कड़े शब्दों में आदेश लिखकर मामले को स्थगित कर दिया। ये मामला अब सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव को सौंप दिया गया है। माना जा रहा है कि आरके माथुर के बाद वह अगले मुख्य सूचना आयुक्त होंगे।