भारतीय ब्लेड रनर छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने अफ्रीका के तंजानिया के सबसे ऊंची पहाड़ी माउंट किलिमंजारो को फतह कर लिया है। उन्होंने अफ्रीका महाद्वीप के पहाड़ किलिमंजारो की 5685 मीटर ऊंची चोटी गिलमंस पर पहुंच कर इतिहास रच दिया है। चित्रसेन ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्होंने दोनों पैर न होने के बावजूद ऐसा किया है। चित्रसेन ने माउंट किलिमंजारो पर 26 सितंबर सुबह 11 बजे स्थानीय समयानुसार (भारतीय समय लगभग 2:00 बजे) फतह किया। उन्होंने यह चढ़ाई 12 घंटे में पूरी की है। चित्रसेन साहू ने 12 घंटे की यह चढ़ाई -5 से -10 डिग्री तापमान में धूल वाले ठंडे तूफान के बीच लगातार मुश्किलों से जूझते हुए पूरी की है। इस चढ़ाई के दौरान उनके पैर में कई चोटे भी आईं, लेकिन उन्होंने तय कर लिया था कि वे हार नहीं मानेंगे। किलिमंजारो की चढ़ाई उन्होंने प्रोस्थेटिक पैर से की। यह मुकाम हासिल करने वाले वे देश के पहले माउंटेनियर हैं जिन्होंने डबल लेग एंप्युटी यानी दोनों पैर के बिना किलिमंजारो पर तिरंगा लहराया है। इस पर्वतारोहण अभियान में उनका मार्गदर्शन राज्य अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले

राहुल गुप्ता ने की। 27 साल के चित्रसेन साहू मूलरूप से अम्बिकापुर के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई बालोद जिले के बेलौदी गांव में हुई। 2014 में उन्होंने बिलासपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सात साल पहले एक ट्रेन दुर्घटना में अपना दोनों पैर खो चुके चित्रसेन साहू ने जिंदगी के आगे घुटने नहीं टेके। पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा की कहानी पढ़कर उनका हौसला बढ़ा और वे अपनी शर्तों पर जिंदगी जीते रहें। चित्रसेन छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में इंजीनियर है। इस युवा इंजीनियर और भारतीय ब्लेड रनर चित्रसेन साहू को ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से भी जाना जाता है।

वे किलिमंजारो की फतह की तैयारी पिछले डेढ़ साल की इसकी तैयारियों कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ‘अफ्रीका के तंजानिया किलिमंजारो में जाने के लिए धीरे-धीरे तैयारियां की और छत्तीसगढ़ के आसपास ट्रैक ट्रेनिंग की। दस दिन हिमाचल में रहकर ट्रेनिंग ली और 72 किलो मीटर ट्रैक कंप्लीट किया।’ वे 16 सितंबर को दक्षिण अफ्रीका पहुंचें और उन्होंने 19 सितंबर को चढ़ाई शुरू की और 26 सिंतबर को किलिमंजारों की चोटी पर पहुंचकर देश का तिरंगा लहराया। चित्रसेन साहू को हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन और मोर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने प्लास्टिक फ्री अभियान का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है।

इसलिए जब चित्रसेन किलिमंजारो की चोटी पर पहुंचे तो उन्होंने लोगों को प्लास्टिक फ्री अभियान का संदेश भी दिया। अपनी इस सफलता पर उन्होंने कहा कि ‘चढ़ाई के दौरान एक वक्त तो हिम्मत टूटने लगी थी। फिर मन पर काबू पाया और लक्ष्य की तरफ बढ़ चला। मैंने इस मिशन का नाम ‘पैरों पर खड़े हैं’ नाम दिया था। मेरा मानना है कि जो व्यक्ति जन्म से या किसी हादसे में शरीर का कोई अंग गंवा दे तो उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। शरीर के किसी अंग का न होना कोई शर्म की बात नहीं, न ही ये हमारी सफलता के आड़े आता है। हम किसी से कम नहीं, न ही अलग हैं, तो बर्ताव में फर्क क्यों करना? हमें दया नहीं, आप सब के साथ एक समान जिंदगी जीने का हक चाहिए।’ उन्होंने कहा कि वे समाज मे दिव्यांगजनों के लिए जो दया भाव है उसे दूर करने के लिए यह कर रहे हैं ताकि लोग समान दृष्टिकोण से देखें।