यह राहत की बात है कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों के मुकाबले दिल्ली में इसका कहर कम होता दिख रहा है और इसके मद्देनजर सरकार इससे संबंधित पाबंदियों में नरमी बरतने के मामले में क्रमश: आगे बढ़ रही है। लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल के दौरान कोरोना संक्रमण की जैसी प्रकृति देखने में आई है, उसमें यह ध्यान रखने की जरूरत होगी कि कोई ऐसी लापरवाही न हो जिससे स्थिति फिर बिगड़ जाए। गौरतलब है कि दिल्ली में सरकार ने एक सितंबर से स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को खोलने का फैसला किया है। शुरू में नौवीं से बारहवीं कक्षा तक के लिए स्कूल खुलेंगे। इसके बाद आठ सितंबर से छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी अभिभावकों की अनिवार्य मंजूरी के साथ स्कूल आने की इजाजत होगी। हालांकि स्कूल या संस्थान की ओर से अभी ऐसी कोई बाध्यता नहीं लादी जाएगी, जो बच्चों को स्कूल आने के लिए बाध्य करे। सरकार का यह फैसला राजधानी में कोरोना संक्रमण के क्रमश: गिरते मामलों के मद्देनजर सामने आया है। सार्वजनिक जीवन की अन्य गतिविधियों में छूट दिए जाने के मुकाबले स्कूल-कॉलेज को खोले जाने को लेकर अब तक स्वाभाविक हिचक बनी हुई थी, क्योंकि बच्चों और विद्यार्थियों के बीच संक्रमण को लेकर सबको सबसे ज्यादा चिंता थी।

दरअसल, दिल्ली में दूसरी लहर का जोर कम होने के बाद खासतौर पर पिछले करीब एक पखवाड़े से संक्रमितों और गंभीर स्थिति में पहुंचने या फिर मरने वालों की तादाद में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। बल्कि राहत के ऐसे मौके भी आए जिस दिन किसी की भी मौत नहीं हुई। हालांकि यह आशंका भी जताई गई कि कोरोना विषाणु के संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है और उसमें बच्चों पर ज्यादा खतरा होगा। लेकिन कई ऐसे आकलनों में खतरा कम होने की बात भी कही गई। अब पिछले कई दिनों के आंकड़े को देखते हुए यह उम्मीद बंधी है कि संक्रमण की तीव्रता शायद कमजोर पड़े। ऐसे में हर स्तर पर चौकसी बरतते हुए आम जनजीवन में सहजता लाने की ओर बढ़ा जा सकता है। यों भी बाजार और अन्य आर्थिक या सार्वजनिक गतिविधियों में कोरोना नियमों के पालन के साथ कई स्तरों पर राहत दी गई है। इससे पहले उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा सहित कई राज्यों में सरकारों ने चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने का फैसला किया है। लेकिन देश में संक्रमण की रफ्तार हर वक्त चिंता पैदा करती है।

दिल्ली में यह माना गया कि सभी स्तरों पर सावधानी बरत कर शैक्षणिक संस्थानों का संचालन शुरू किया जा सकता है। शायद हाल के आंकड़ों के आकलन के आधार पर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और विशेषज्ञ समिति ने दिल्ली में स्कूल-कॉलेज और कोचिंग खोलने को लेकर ताजा फैसला लिया। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के एक सर्वेक्षण में भी सत्तर फीसद विद्यार्थियों के माता-पिता ने स्कूल खोलने के पक्ष में अपनी राय जाहिर की। यह सही है कि बीते साल मार्च से लेकर इस साल मई तक महामारी को लेकर देश भर को जो त्रासदी झेलनी पड़ी, उसकी स्मृतियां लोगों को सार्वजनिक जीवन में जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतने पर मजबूर कर रही हैं। लेकिन यह भी तथ्य है कि जोखिम का सामना करते हुए अगर जनजीवन को कम के कम अनिवार्य स्तर तक सहज नहीं बनाया गया तो बाद में कई चीजों को संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए आर्थिक और दूसरी सामाजिक-सार्वजनिक गतिविधियों को सामान्य बनाने के साथ-साथ सरकार अगर स्कूल-कॉलेजों को खोलने को लेकर भी सरोकार दर्शा रही है तो यह अच्छी बात है। मगर हर स्तर पर बिना किसी चूक के सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि महामारी की स्थिति नियंत्रण में रहे।