राजधानी दिल्ली में मंगलवार की रात हुई एक हत्या को आम आपराधिक घटनाओं की तरह ही दर्ज किया जाएगा। मगर इस वाकये में हत्या की जो वजह और प्रकृति सामने आई है, उसने सबको यह सोचने पर मजबूर किया है कि समाज में कैसी विकृतियां हमारे आसपास पल रही हैं और कब, कहां कोई अप्रत्याशित घटना हो जाए, कहा नहीं जा सकता।
खबरों के मुताबिक, महज सोलह वर्ष के एक किशोर ने रास्ते से गुजर रहे सत्रह वर्ष के एक अन्य लड़के को रोका, उससे पैसे मांगे और मना करने पर गला दबा कर उसे बेहोश कर दिया। मगर इसके बाद जो हुआ, वह न सिर्फ किसी को भी दहला देने वाला था, बल्कि ऐसे दृश्यों पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। उन्माद से भरा किशोर बेहोश हो चुके लड़के पर न सिर्फ अंधाधुंध चाकू से वार करने लगा, उसके शरीर को सड़क पर घसीटा, गला रेत दिया, बल्कि शव पर नाचने लगा। एक व्यक्ति ने लड़के को बचाने की कोशिश की, तो किशोर ने चाकू दिखा और धमका कर उसे भगा दिया।
यह पूरी वारदात चूंकि सीसीटीवी की पकड़ में आ गई, आसपास के कई लोगों ने इसे देखा भी, तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि खासकर कोमल मन-मस्तिष्क वाले बच्चों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कानूनी तौर पर इसे हत्या की एक जघन्य घटना माना जाएगा और इसी मुताबिक आरोपी के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया चलेगी।
मगर इसकी प्रकृति इतनी भयावह है कि न केवल दूसरे लोगों ने, बल्कि खुद आरोपी की मां ने भी उसके खिलाफ वयस्क अपराधियों की तरह कानूनी प्रक्रिया चलाने की मांग की। यह समझना मुश्किल है कि इतनी कम उम्र में उस किशोर का दिमाग इस हद तक विकृत कैसे हो गया कि उसने राह चलते एक अनजान लड़के की हत्या कर दी और अपने भीतर मौजूद हिंसा की कुंठा का प्रदर्शन किया।
जैसी खबरें आई हैं, उनके अनुसार हत्या करने वाले किशोर ने नौवीं कक्षा में बीच में ही स्कूली पढ़ाई छोड़ दी थी और शराब का आदी हो गया था। उसके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। जाहिर है, वह बुरी संगति में अवांछित आदतों का शिकार हो गया और पारिवारिक अवस्था की वजह से उसे रोकने या सही राह देने की स्थितियां नहीं बनीं। इस बीच कब उसके भीतर मनोवैज्ञानिक विकृतियां पैदा हुई और गहरे बैठ गई, उसका पता किसी को नहीं चला।
ऐसा लगता है कि हिंसा की कुंठा में डूबे किशोर के भीतर से परिवार, समाज और शासन, सभी स्तर का डर निकल गया था। इसलिए इसे जघन्य अपराधों की आम घटनाओं से अलग करके देखे जाने की जरूरत है, जिसमें मनोविज्ञान का पहलू बेहद अहम है। इस घटना के बारे में विशेषज्ञों की भी यही राय है कि आचरण संबंधी, मादक पदार्थों की लत से उपजे विकार या मनोविकृति जैसी समस्याओं से घिरे होने की वजह से आरोपी ने ऐसा किया होगा। यों ऐसी स्थितियों की भी जड़ें होती हैं कि अगर कोई व्यक्ति इस तरह की मानसिक विकृतियों का शिकार होता है तो उसकी कोई वजह होगी।
कारण चाहे जो हो, वह अध्ययन का विषय हो सकता है। मगर यह घटना दर्शाती है कि एक ओर हमारे आसपास अब असुरक्षा का वातावरण ज्यादा चिंताजनक साबित होने लगा है, वहीं घर-परिवार में बच्चों की छोटी-मोटी गलतियों को लेकर उदासीनता या उपेक्षा के बजाय उनके व्यवहार पर नजर और देखरेख के साथ उनमें विकसित होती आदतों को लेकर समय रहते सचेत होने की जरूरत है।