अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना भारत का पुराना सपना है। हालांकि इसके लिए संघर्ष लंबे समय से चलता आ रहा है, मगर जबसे भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष यान और उपग्रह प्रक्षेपण यानों के लिए क्रायोजेनिक इंजन का विकास किया है, तबसे इस दिशा में उल्लेखनीय सफलताएं मिली हैं।

चंद्रयान और आदित्य एल-वन की कामयाबी के बाद निस्संदेह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद हैं। अब गगनयान मिशन को लेकर उत्साह नजर आने लगा है। प्रधानमंत्री ने इस मिशन पर जाने के लिए चार वैज्ञानिकों के नामों की घोषणा भी कर दी है। वैज्ञानिक इस मिशन को लेकर खासे सावधान हैं। गगनयान की बनावट कुछ इस तरह तैयार की गई है कि उसमें यात्रा करते हुए यात्रियों को पृथ्वी जैसे वातावरण का अनुभव हो और उन्हें सुरक्षित उतारा जा सके।

फिलहाल एहतियात के तौर पर तीन मिशन भेजे जाएंगे, जिनमें से दो मानव रहित होंगे और एक में तीन यात्रियों को तीन दिन के लिए भेजा जाएगा। उन्हें समुद्र या पृथ्वी की सतह पर सुरक्षित उतार लिया जाएगा। इसके लिए तैयार किए गए गगनयान का परीक्षण सफल रहा है। यानी सब तरफ से इस मिशन की तैयारियां पूरी हैं, केवल इसके उड़ान का समय तय होना है।

दरअसल, गगनयान मिशन को इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है कि यह भारत का पहला मिशन होगा, जिसमें मानवयुक्त यान अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस यान को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। इस तरह भारत अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों की श्रेणी में शुमार हो जाएगा, जो अभी तक मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेज चुके हैं।

दूसरी उल्लेखनीय बात यह है कि भारत अगले दस वर्षों में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना चाहता है। उसमें गगनयान का योगदान महत्त्वपूर्ण होगा। अंतरिक्ष स्टेशन का मकसद दरअसल, वहां रह कर अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाना है। अभी तक भेजे गए अंतरिक्ष यानों से प्राप्त जानकारियां बहुत सीमित हैं, जबकि अंतरिक्ष का विस्तार अनंत है।

दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के जिज्ञासा का विषय है कि अंतरिक्ष में क्या कोई ऐसा भी ग्रह है, जिस पर मनुष्य जैसे प्राणी रहते हैं या जहां मनुष्य के रहने की संभावना हो सकती है। अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित हो जाने से अंतरिक्ष के कई अछूते पक्षों को भी जानने-समझने का मौका मिल सकता है। उसमें गगनयान वैज्ञानिकों के स्टेशन तक आवागमन का माध्यम बन सकता है।

फिर, दुनिया की बदलती स्थितियों में अंतरिक्ष अनुसंधान केवल अंतरिक्ष के रहस्यों को खोलने तक सीमित नहीं है। यह एक विस्तृत कारोबार का रूप ले चुका है। पृथ्वी पर खनिजों की उपलब्धता सीमित है, जबकि मनुष्य की जरूरतें असीमित। ऐसे में दूसरे ग्रहों पर उपलब्ध खनिजों का दोहन भी भविष्य का एक सपना है। इसके लिए दुनिया की कई निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपने पांव पसार रही हैं।

चंद्रमा और मंगल ग्रह पर ऐसे कुछ उपयोगी खनिजों के बारे में पता भी चला है। फिर, दूसरे ग्रहों पर मानव बस्तियां बसाना भी दुनिया की अनेक सरकारों का सपना है। भारत भी इसे लेकर उत्साहित है। ऐसे में गगनयान की कामयाबी भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में ऐतिहासिक और भविष्य की चुनौतियों के लिहाज से बहुत उपयोगी साबित होगी। गगनयान के अब तक के परीक्षणों से यह उत्साह स्वाभाविक है कि इसमें सफलता मिलेगी।