भारत सड़कों के जाल और दूरी के मामले में दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क वाले देशों में एक है। लेकिन विस्तार के बरक्स सफर को सुरक्षित बनाने के मामले में उतनी ही लापरवाही दिखती है। यही वजह है कि सड़क हादसों में भारत दुनिया भर में अव्वल है। सवाल है कि फिर सड़कों के ऐसे विस्तार का क्या मतलब, जब इतनी ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं और लोग मारे जाते हैं। लेकिन अब केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क परिवहन में सुधार के लिए जो इरादा जताया है, अगर वह मूर्त रूप ले पाया तो सुरक्षित सफर की उम्मीद की जानी चाहिए।

अमेरिका की यात्रा पर गए गडकरी ने न्यूयार्क के परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद कहा कि भारत के महानगरों में जिस तरह सड़कों पर आवाजाही का मामला जटिल होता जा रहा है, उसमें काफी सुधार की जरूरत है और न्यूयार्क की स्मार्ट यातायात प्रणाली की तरह सड़क प्रबंधन को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाया जा सकता है। इस दिशा में पहल का मतलब है दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बंगलुरु जैसे महानगरों में स्मार्ट यातायात प्रणाली विकसित की जाएगी, जो सड़क प्रबंधन के बारे में विस्तृत और सही सूचना उपलब्ध कराएगी। इस प्रणाली की खासियत यह है कि इसके तहत यातायात पर नजर रखने और दुर्घटना या जाम की स्थिति में अधिकारी सड़कों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। इस मामले में अव्वल देशों में पुलिस प्रशासन और सड़क परिवहन विभाग स्थानीय निकायों से तालमेल के साथ काम करते हैं और न केवल यातायात पर नजर रखने, बल्कि नियमों के उल्लंघन के रिकार्ड के लिए आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल करते हैं।

भारत के शहरों-महानगरों में सड़कों पर सफर जिस तरह असुविधाजनक होता जा रहा है, उसमें एक कारगर यातायात व्यवस्था की बहुत जरूरत है। लेकिन शायद ही कभी इसे एक गंभीर समस्या के रूप में प्राथमिकता मिली हो। जब भी अचानक कोई मुश्किल खड़ी होती है, कोई फौरी हल निकाल कर मान लिया जाता है कि सब ठीक हो गया। हादसा होने पर कुछ पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाने आ जाते हैं और जाम के समय यातायात पुलिस स्थिति संभालने की कोशिश करती है। जबकि सड़क-प्रबंधन कुछ ऐसा होना चाहिए कि ऐसी अव्यवस्था खड़ी ही न हो।

एक बड़ी समस्या यह भी है कि पिछले कुछ सालों के दौरान सड़कों का जो विस्तार हुआ, वह वाहनों की तादाद में हर साल होती भारी बढ़ोतरी के अनुपात में बहुत कम है। फिर, वाहन चलाने के मामले में प्रशिक्षण, जागरूकता और जिम्मेदारी की हालत यह है कि बहुत कम वाहन चालक दूसरों का खयाल रख कर सड़क पर चलते हैं। पैदल राहगीरों और साइकिल से चलने वालों के लिए सड़क पर कितनी जगह है, यह सभी जानते हैं। जबकि दुनिया के कई देशों में पैदल और साइकिल से चलने वालों को सड़क पर सबसे ज्यादा प्राथमिकता मिलती है। ऐसी स्थिति में अगर सुरक्षित और सहज यातायात प्रणाली जैसी योजना जमीन पर उतरती है तो न सिर्फ रोजाना के सड़क हादसों पर काबू पाया जा सकेगा, बल्कि उससे प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।