दिल्ली से सटे गुड़गांव में सऊदी अरब दूतावास के सचिव की विकृत मानसिकता का जैसा ब्योरा सामने आया है, वह न सिर्फ आपराधिक करतूत है, बल्कि इससे यह पता चलता है कि कोई अधिकारी राजनयिक संरक्षण यानी डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी का किस कदर लाभ उठाने की कोशिश करता है।
खबर के मुताबिक कुछ समय पहले नेपाल के भूकम्प में सब कुछ तबाह हो जाने के बाद वहां की दो महिलाएं रोजी-रोटी की तलाश में भारत आर्इं। एक प्लेसमेंट एजेंसी ने नौकरी दिलाने के नाम पर उन्हें सऊदी अरब भेज दिया, फिर दिल्ली में लाकर बेच दिया। फिर संबंधित राजनयिक के घर में पहुंचाई गई दोनों महिलाओं से न केवल बेरहमी से घरेलू काम कराए जाते, बल्कि उनके साथ लगातार बलात्कार किया जाता रहा। राजनयिक उन्हें अपने घर आने वाले दूसरे लोगों के हवाले भी कर देता था।
सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौन शोषण, नियमित उत्पीड़न और बर्बरता से दो-चार इन महिलाओं के घर से निकल पाने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई थी। संयोग से उस घर में काम करने के लिए एक दूसरी युवती को रखा गया, जो दोनों महिलाओं की हालत देख कर किसी तरह वहां से भाग निकली और उसने एक स्वयंसेवी संस्था को इस बात की जानकारी दी।
इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और छापा मार कर दोनों नेपाली महिलाओं को छुड़ाया गया। यह न केवल रोजगार की जरूरत में भटकती उन नेपाली महिलाओं को अपनी कुंठा और विकृत मानसिकता का शिकार बनाने, बल्कि अपने पद और अधिकारों का गलत फायदा उठाने का भी मामला है।
यह सोच कर किसी को भी हैरानी होगी कि किसी देश के राजनयिक का आचरण इस कदर विकृत और आपराधिक होगा कि उसने दो जरूरतमंद लाचार महिलाओं को गुलाम की तरह रखा। क्या इसके पीछे यह भरोसा काम कर रहा था कि राजनयिक होने के नाते उसे कानूनी रूप से जो छूट मिली हुई है, उसमें वह इस तरह की आपराधिक मनमानी कर सकता है? हैरानी की बात है कि सऊदी सरकार ने आरोपी राजनयिक के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाने के बजाय उल्टा भारतीय पुलिस के रवैए पर अंगुली उठाई है।
उसने इसे विएना संधि के उल्लंघन के रूप में रेखांकित किया है कि इससे एक राजनयिक को मिली कानूनी आजादी का हनन हुआ है। यह सही है कि विएना समझौते के तहत दूतावासों के अधिकारियों को राजनयिक संरक्षण प्राप्त होता है। लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं लगाया जा सकता कि इससे उन्हें आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की छूट मिल जाती है!
यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अपनी घरेलू सहायिका के शोषण और बदसलूकी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस लिहाज से सऊदी अरब के दूतावास के आरोपी राजनयिक की करतूत जघन्य अपराध की श्रेणी में आती है। इसलिए कानून के मुताबिक इस मामले में सख्त कार्रवाई करना भारत सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी है। राजनयिक संरक्षण के हवाले ऐसी हरकतों पर आंखें मूंद लेने का मतलब है राजनयिकों में आपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देना।