अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार ने स्वाभाविक रूप से सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसमें सुधार लाने के मकसद से निवेश संबंधी कई आकर्षक योजनाएं शुरू की जा रही हैं, तो कर चोरी रोकने जैसे मोर्चों पर सख्ती का दम भरा जा रहा है। इसी क्रम में सरकार ने स्वर्ण मुद्रीकरण और स्वर्ण बांड योजनाओं को हरी झंडी दे दी है।

माना जा रहा है कि इन योजनाओं से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हर साल करीब एक हजार टन सोने का आयात होता है और लोग निवेश के मकसद से इसे खरीदते हैं। मगर यह सारा सोना एक प्रकार से अनुत्पादक रूप में लोगों के घरों में रखा रहता है। देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में इसका उस तरह सीधा इस्तेमाल नहीं हो पाता, जिस तरह बैंकों में जमा पैसे का।

इसलिए सरकार ने योजना बनाई है कि अगर लोग अपना सोना बैंकों के पास जमा कराते हैं तो उस पर जमा रुपए की तरह ही ब्याज मिलेगा और वह ब्याज करमुक्त होगा। इसी तरह सोने के बदले सावधि बांड भी खरीदे जा सकते हैं। इन योजनाओं में सोना छोटी से लेकर लंबी अवधि तक के लिए जमा कराया जा सकता है।

लंबी अवधि के लिए जमा कराए गए सोने पर ब्याज की दर रिजर्व बैंक तय करेगा। छोटी अवधि के लिए जमा किए गए सोने पर भी कम से कम डेढ़ प्रतिशत की दर से ब्याज प्रस्तावित है। यानी सोने की कीमतें बढ़ने पर निवेशक को मुनाफे के साथ-साथ अधिक ब्याज भी मिलेगा। चूंकि इन योजनाओं में जमा सोने पर सुरक्षा की गारंटी सरकार खुद दे रही है, इसलिए निवेश में किसी प्रकार का जोखिम नहीं होगा।
पर यह दावा करना फिलहाल मुश्किल है कि इन योजनाओं के प्रति कितने लोग आकर्षित होंगे। चूंकि इनमें जमा कराए जाने वाले जेवर या सोने को पहले गलाया जाएगा और उसकी शुद्धता जांचने के बाद बाजार भाव से उसकी कीमत तय की जाएगी, इसलिए जिन लोगों ने जेवर इस मकसद से खरीदा है कि वे विभिन्न अवसरों पर उसे पहन सकेंगे, वे इन्हें जमा कराने के बारे में नहीं सोचेंगे।

जिन लोगों ने निवेश के मकसद से भी इसे खरीद कर रखा है, वे तब तक इन योजनाओं में निवेश से हिचकेंगे, जब तक अच्छा मुनाफा नजर नहीं आएगा। हालांकि सरकार ने अभी इन योजनाओं में ब्याज आदि से जुड़े तमाम तकनीकी पहलुओं को अंतिम रूप नहीं दिया है, इन्हें अधिक आकर्षक बनाए जाने की उम्मीद है।

इन योजनाओं से बैंकों के स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी का रास्ता खुलेगा। बैंक जमा सोने को आभूषण निर्माताओं को कर्ज के तौर पर दे या खुले बाजार में ले जा सकते हैं। आभूषण बनाने वालों को कर्ज पर दिए गए सोने पर ब्याज दरें रिजर्व बैंक तय करेगा। यानी अभी तक जो सोना अनुत्पादक रूप में लोगों के घरों में रखा रहता था, इस योजना के जरिए उसकी तरलता बढ़ाने में मदद मिलेगी। बाजार में उसका प्रवाह बढ़ेगा, तो अर्थव्यवस्था को भी ताकत मिलेगी।

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