इसी साल मार्च में भारत की ओर से चली एक मिसाइल के पाकिस्तानी सीमा में गिरने की वजह निश्चित रूप से महज एक दुर्घटना थी, लेकिन इस तरह की कोई एक चूक कैसे नतीजे सामने ला सकती है, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। कुछ अफसरों की गलती की वजह से हुए इस हादसे की जांच के बाद स्वाभाविक ही भारत सरकार ने सख्त कार्रवाई की। इसके तहत वायु सेना के तीन अधिकारियों को गलती से ब्रह्मोस मिसाइल चल जाने के लिए जिम्मेदार माना गया और रक्षा मंत्रालय ने उन्हें सीधे बर्खास्त कर दिया।
इस कार्रवाई को सैन्य अनुशासन और सावधानी के मामले में बरती गई किसी भी स्तर पर लापरवाही के खिलाफ शून्य सहनशीलता के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन इससे ज्यादा अहम यह है कि इससे एक तरह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ-साथ पाकिस्तान को भी यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि मिसाइल चल जाने की वह घटना भले ही महज चूक या गलती का नतीजा थी, लेकिन इसे भारत सरकार अधिकतम गंभीर मानती है और इसीलिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई।
दरअसल, दुनिया भर में भारत को पाकिस्तान के मुकाबले ज्यादा जिम्मेदार देश के तौर पर देखा-माना जाता रहा है। इस लिहाज से वायु सेना के तीन अधिकारियों की बर्खास्तगी देश की उसी छवि के मुताबिक है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तान जिस तरह मामूली बातों को भी तूल देकर गंभीर विवाद की शक्ल देता रहा है, ऐसे में भारत की ओर से दागी गई मिसाइल को वह कैसा मुद्दा और अपनी मनमर्जी के लिए बहाना बना सकता था।
लेकिन जब यह घटना सामने आई थी, तभी भारत ने तात्कालिक तौर पर सामने आए तथ्यों के आधार पर यह स्वीकार करने में कोई देरी नहीं की कि यह महज एक चूक का नतीजा है और इसके पीछे कोई भी गलत मंशा नहीं है। इसका परिणाम यह हुआ कि दूसरे तमाम देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत के स्पष्टीकरण के संदर्भों को समझा और शायद यही वजह रही कि पाकिस्तान को भी इसे ज्यादा तूल देने का मौका नहीं मिला। वरना यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को परेशान करने के लिए बिना वजह पाकिस्तान जैसा रुख अपनाता रहा है, उसमें अपनी सीमा में मिसाइल गिरने को वह कैसा रूप दे सकता था!
सामान्य स्थितियों में दो पड़ोसी देशों के बीच ऐसी समझदारी होनी चाहिए कि दोनों ओर की सीमाओं पर या इसके पार अगर कोई अवांछित गतिविधि सामने आती है तो दोनों मिल कर उसकी पड़ताल करके सद्भाव के साथ उसका हल निकाल लें। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे वक्त से जैसे संबंध रहे हैं, उसमें पाकिस्तान से ऐसी अपेक्षा करना मुश्किल है। यों भी, दो देशों की सीमा पर होने वाली हर सैन्य गतिविधि बेहद महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसलिए हथियारों के संचालन से बहुत पहले उसकी देखरेख तक को लेकर अधिकतम स्तर की सावधानी बरतना अनिवार्य शर्त है।
अगर किसी अधिकारी की मामूली चूक से कोई व्यापक घातक हथियार बेलगाम हो जाए तो उसका परिणाम जानमाल के नुकसान से आगे प्रत्यक्ष युद्ध तक की शक्ल में सामने आ सकता है। इस लिहाज से देखें तो वायु सेना के तीन अधिकारियों को बर्खास्त करके भारत सरकार ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारी और गंभीरता का फिर परिचय दिया है, बल्कि अपने सैन्य महकमों को भी अधिकतम सावधानी और चौकसी बरतने का संदेश जारी किया है।