अफसोस की बात यह है कि इस तरह के लगातार हादसों के बावजूद न तो सड़कों पर वाहन चलाने वाले लोग सावधानी बरतने को तैयार दिखते हैं, न ही संबंधित महकमे बचाव के पूर्व इंतजामों को लेकर गंभीर होते हैं।

नतीजतन, एक के बाद एक दुर्घटनाएं सामने आती रहती हैं और उनमें नाहक ही लोगों की जान जाती रहती है। गौरतलब है कि मंगलवार को जम्मू में वैष्णो देवी के दर्शन के बाद लोगों को लेकर कटरा से अमृतसर जा रही एक बस रास्ते में बने एक पुल से नीचे खाई में गिर गई। इस हादसे में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई और छियासठ अन्य घायल हो गए।

हताहत यात्री बिहार के लखीसराय जिले से थे और बच्चे के एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए गए थे। यानी किसी धार्मिक यात्रा के बाद खुशी की इच्छा में तीर्थयात्रा पर गए लोग वाहन चलाने में मामूली चूक की वजह से एक त्रासदी का शिकार हो गए। दस दिन के भीतर हुई इस तरह की यह दूसरी घटना है। हालांकि पहाड़ी इलाकों में आए दिन ऐसे हादसे होते रहते हैं।

विडंबना यह है कि पहाड़ी क्षेत्र में एक ही तरह से होने वाली दुर्घटना के उदाहरण बार-बार सामने आने के बावजूद उन इलाकों में वाहन चलाने वाले लोग कुछ वैसी बातों को लेकर सावधान रहने में चूक कर जाते हैं, जो दिखने में बिल्कुल छोटी होती हैं, लेकिन उसकी वजह से ही वाहन में सवार सभी लोगों की जान पर आफत आ सकती है।

जम्मू में जो बस हादसे का शिकार हुई, वह दरअसल पुल से नीचे खाई में गिर गई। यानी किसी तकनीकी गड़बड़ी या फिर चालक की लापरवाही या गलती की वजह से बस नियंत्रण से बाहर हो गई और पुल का घेरा तोड़ती नीचे जा गिरी। लेकिन यह भी सच है कि पुल पर बना घेरा इतना मजबूत नहीं था कि किसी अनियंत्रित वाहन को नीचे गिरने से रोक सके। दूसरे, पहाड़ी इलाकों में वाहन चलाना सामान्य मैदानी इलाकों के मुकाबले ज्यादा जोखिम का काम होता है और उसमें चालकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

ऐसे क्षेत्रों में हादसे के बाद की एक बड़ी समस्या यह होती है कि अगर कोई वाहन खाई में गिर जाता है तो वहां तक पहुंचने में आने वाली मुश्किल की वजह से उसमें फंसे लोगों के बचाव कार्य में होने वाली देरी के चलते भी कई लोगों की जान नहीं बचाई जा पाती। पहाड़ में बनी सड़कों पर वाहन चलाने की जटिलताओं के बीच ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जो उपाय किए जाने चाहिए, कई बार उन्हें लेकर भी संबंधित महकमे कोताही बरतते हैं।

मसलन, पहाड़ी रास्तों पर ऐसे मोड़ अक्सर सामने आते हैं, जहां सामने से आ रहा वाहन दिखाई नहीं दे पाता। सड़क के किनारे एक तरफ पहाड़ होते हैं, तो दूसरी ओर गहरी खाई। बेहद मामूली चूक भी ऐसे हादसे का कारण बन जाती है, जिसमें किसी का जीवन बचने की उम्मीद नहीं बचती। इसके मद्देनजर ऐसे इलाकों में सड़क किनारे पैराफिट या फिर क्रैश बैरियर लगाए जाते हैं, ताकि अगर कोई वाहन संतुलन खो दे तो पैराफिट या क्रैश बैरियर से टकरा कर किसी तरह खाई में गिरने से बच जाए।

सिर्फ इतने भर से कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। लेकिन कई बार सड़कों पर होने वाले हादसों से बचाव के इंतजामों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में किसी चालक की कोताही या वाहन में अचानक आई तकनीकी गड़बड़ी खमियाजा उसमें सवार लोगों को भुगतना पड़ता है।