मानव तस्करी की आशंका की वजह से फ्रांस में रोके गए विमान के यात्री भारत पहुंच गए, मगर इस समूचे घटनाक्रम की जितनी परतें सामने आई हैं, वे सोचने पर मजबूर करती हैं कि अमूमन सामान्य दिखती दुनिया में बहुत सारे लोग किस तरह की जटिलताओं से गुजरते हैं। संयुक्त अरब अमीरात से अमेरिका के निकारागुआ जा रहे विमान में अगर मानव तस्करी की आशंका नहीं पैदा होती तो शायद इससे जुड़े पहलू या तो दबे रह जाते या फिर वैध-अवैध की आम घटनाओं में शुमार होते।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले निकारागुआ जाने वाली रोमानियाई कंपनी के एक विमान ने तीन सौ तीन यात्रियों को लेकर दुबई से उड़ान भरी थी। फ्रांस की ओर से जारी बयान के मुताबिक विमान के बारे में यह खुफिया जानकारी मिली थी कि उसमें सवार लोग मानव तस्करी के शिकार हुए हो सकते हैं। निश्चित रूप से यह एक संवेदनशील सूचना थी। नतीजतन, इसे बीच में ही फ्रांस के पास वैट्री हवाई अड्डे पर रोक दिया गया। उसमें दो लोगों को संदिग्ध मान कर उनसे पूछताछ की गई और चार दिन तक वहां रखे जाने के बाद आखिर उनमें से दो सौ छिहत्तर यात्रियों को भारत भेज दिया गया। दो नाबालिगों सहित पच्चीस ने फ्रांस में ही शरण मांगी।
वैश्विक स्तर पर जैसे हालात बन रहे हैं, बहुस्तरीय आशंकाएं उभर रही हैं, अमूमन सभी देशों को सुरक्षा के मोर्चे पर कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ रही हैं, उसमें किसी आशंका के आधार पर विमान को रोके जाने और यात्रियों को भारत भेजे जाने की वजह समझी जा सकती है। मगर इसमें यह ध्यान रखने की जरूरत है कि किसी भी विमान के जरिए एक से दूसरे देश की यात्रा करना आसान नहीं होता और इसके लिए किसी यात्री को पहचान से लेकर कारण और अवधि तक के कई स्तर पर सूक्ष्म जांच प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
सवाल है कि इसके बावजूद इतनी बड़ी तादाद में लोग किसी रोमानियाई कंपनी के विमान से दुबई से चल कर अमेरिका के निकारागुआ कैसे जा रहे थे, जिन्हें रोकने के बाद अब भारत भेजा गया! हालांकि उनमें से कई यात्रियों के पास कार्य या पर्यटक वीजा था और कइयों के पास वापसी के टिकट और होटल के आरक्षण के प्रमाण भी थे। यह दावा किया गया कि निकारागुआ के लिए भुगतान करने वाले यात्री वापस नहीं लौटना चाहते थे, मगर फ्रांस में रोके जाने के बाद उनके सामने पैदा संकट के समय केवल भारत ही मदद करने को तैयार हुआ।
यों फ्रांस से भारत पहुंचने वाले यात्रियों में से ज्यादातर भारतीय हैं और बाकी सब भी अब अपने-अपने सुविधाजनक ठिकानों की ओर लौट जाएंगे। फिलहाल फ्रांस की ओर से उठाई गई मानव तस्करी की आशंका की पुष्टि नहीं हुई है और घटना की पूरी जांच होगी। मगर इससे यह साफ हुआ है कि किस तरह बहुत सारे लोग रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास के बीच युद्ध से उपजे हालात से बचने के लिए या रोजगार या फिर किसी अन्य वजह से संवेदनशील स्तर तक जान का जोखिम उठा भी कर यूरोप या अमेरिका जैसे देशों में जा रहे हैं।
हालांकि उनमें कुछ लोग समूची कानूनी प्रक्रिया का पालन करके वहां जाते हैं, लेकिन ऐसे मामले भी सामने आते रहे हैं, जिनमें कई अवैध तरीके से भी कनाडा और अमेरिका जाते हैं। अमेरिका में शरण मांगने वालों के लिए निकारागुआ एक चर्चित जगह बन गई है। जाहिर है, इस समूची घटना के कई ऐसे पहलू हैं, जिन पर मानवीय दृष्टि से विचार करना जरूरी है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा होते जटिल हालात में देशों के लिए सावधानी बरतना भी वक्त का तकाजा है।
