हवाई यात्रा निश्चित रूप से सुविधाजनक होती है, लेकिन इसके साथ कई आशंकाएं भी मौजूद रहती हैं। रविवार की सुबह नेपाल के पोखरा में अपने गंतव्य पर पहुंचने और सुरक्षित उतरने के महज कुछ पल पहले यही डर सच साबित हो गया, जब यति एअरलाइंस का एक विमान हादसे का शिकार हो गया।
हालांकि मध्य नेपाल के पोखरा शहर में हाल ही में शुरू हुए हवाई अड्डे पर विमान जब उतरने वाला था, तब चंद पल पहले सब कुछ सही लग रहा था और उसके सुरक्षित उतर जाने की उम्मीद थी। मगर अचानक एक झटके में वह वहां स्थित नदी घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान में पांच भारतीयों सहित बहत्तर लोग सवार थे, जिनमें खबरों के मुताबिक सभी मुसाफिरों की मौत हो गई। घटनास्थल के बिल्कुल नजदीक ऊंचे भवनों वाला रिहाइशी इलाका है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर विमान उन घरों पर गिरता, तो नुकसान कितना हो सकता था।
नेपाल में विमान के गिरने और इतनी बड़ी तादाद में लोगों के मारे जाने को भी आए दिन होने वाले हादसों में शुमार कर उसी मुताबिक जांच और उसके नतीजे पेश होंगे। लेकिन क्या हादसे के बाद घटना की जांच किसी ऐसे निष्कर्ष तक भी पहुंचती है कि आगे ऐसी त्रासदी से न गुजरना पड़े? नेपाल में हुई ताजा दुर्घटना के बाद विमान का ब्लैक बाक्स मिल गया है और अब उसके जरिए हादसे के कारणों की पड़ताल करने की कोशिश की जाएगी।
लेकिन फिलहाल विश्लेषणों के आधार पर जो अनुमान जताए गए हैं, उसके मुताबिक हादसे के लिए मानवीय भूल, विमान प्रणाली में अचानक आई या पहले से मौजूद खराबी या फिर पायलट की थकान जैसी कुछ वजहें हो सकती हैं। ये आशंकाएं इसलिए भी जताई जा रही हैं कि हवाई पट्टी पर उतरने के ठीक पहले तक विमान बिल्कुल सुरक्षित दिशा में था। सवाल है कि अचानक विमान में ऐसा क्या हुआ कि कुछ पल के भीतर ही सब कुछ तबाह हो गया!
नेपाल में यह कोई पहला हादसा नहीं है। पिछले तीस सालों में इस तरह के अट्ठाईस हादसे हो चुके हैं। जो विमान रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया, वह करीब चार दशक पुराने माडल का था। इसके अलावा, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, खराब मौसम और कई मामलों में पायलट के पास पर्याप्त अनुभव न होना भी उड़ानों को खतरनाक बनाते हैं।
हालांकि ताजा हादसे के वक्त मौसम बिल्कुल साफ था और उसकी वजह से कोई गड़बड़ी पैदा होने की आशंका नहीं थी। मगर ऊंचे पहाड़ों वाले इलाके में स्थित हवाई अड्डों से सुरक्षित उड़ान भरने और उन पर उतरने के लिए पायलटों के विशेष रूप से प्रशिक्षित होने की जरूरत होती है। संभव है कि नेपाल की उड़ान सेवाओं में इस कसौटी का ध्यान रखा जाता हो, लेकिन बड़े हादसों के बाद हवाई सेवाओं के सुरक्षित होने को लेकर कई सवाल उठते हैं।
यों भी विमान सेवाओं को चूंकि बेहद संवेदनशील यात्रा माना जाता है, इसलिए उसकी सुरक्षा को लेकर भी सबसे उच्च स्तर की सजगता बरती जाती है। लेकिन अगर इस क्षेत्र में भी आए दिन हादसे होने लगें तो विमान से सफर को लेकर भी आशंकाएं पैदा होंगी। खासतौर पर विमान सेवाओं के निजीकरण के दौर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच आजकल हवाई सेवाओं में आए दिन जैसी गड़बड़ियां देखी जा रही हैं, वे लगातार जोखिम को बढ़ा रही हैं।