आर्थिक गतिविधियों को गति देने के मकसद से धीरे-धीरे बंदी हटनी शुरू हुई तो अपेक्षा यही की गई थी कि लोग खुद एहतियात बरतेंगे और कोरोना संकट से पार पाने में मदद करेंगे। मगर लगता है कि लोगों को इसकी परवाह बिल्कुल नहीं रही। लोग सड़कों पर और बाजारों में इस तरह बेखौफ निकल पड़े जैसे कोविड का कभी कोई खतरा रहा ही नहीं।

बिना मुंह ढके और उचित दूरी बनाए भीड़भाड़ लगाना शुरू कर दिया। इस बीच बिहार विधानसभा के साथ दूसरे राज्यों में लोकसभा और विधानसभाओं के उपचुनाव भी घोषित कर दिए गए। वहां राजनेताओं की रैलियों में महामारी से बचाव संबंधी नियम-कायदों की जम कर धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। ऊपर से धान की फसल कटने के बाद हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में तमाम अनुरोधों और सख्त नियमों के किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। उसकी वजह से दिल्ली और आसपास के शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

इन्हीं लापरवाहियों और मनमानियों का नतीजा है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण ने एक बार फिर तेजी से पांव पसारने शुरू कर दिए। स्थिति यह है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के आंकड़े अब तक के सबसे चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं। एक दिन में करीब पौने सात हजार लोगों के संक्रमित होने का आंकड़ा दर्ज हो चुका है। यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।

यह स्थिति तब है, जब माना जा रहा था कि कोरोना संक्रमण का प्रकोप उतार पर है और जल्दी ही इस पर काबू पा लिया जाएगा। पूरे देश के स्तर पर देखें, तो पहले की तुलना में जरूर संक्रमण उतार पर कहा जा सकता है। मगर दिल्ली में जिस तरह इसमें अचानक उछाल दर्ज हुआ है, उससे स्वाभाविक ही चिंता बढ़ गई है। इस वक्त दिल्ली में संक्रमण दर पूरे देश की संक्रमण दर से कहीं अधिक है।

जांच में ग्यारह से तेरह प्रतिशत लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे कोरोना की तीसरी लहर माना है। जिस वक्त देश के तमाम राज्यों में संक्रमण की बढ़ती दर को लेकर चिंता जताई और जांचों में तेजी लाने की जरूरत बताई जा रही थी, उस वक्त दिल्ली सरकार ने जरूर तत्परता दिखाते हुए इस समस्या पर काबू पाने की कोशिश की थी।

मगर जैसे ही मामले कम होने शुरू हुए, लगातार शिथिलता बरती जाने लगी। मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि जो लोग मामूली रूप से संक्रमित हैं या जिनमें खांसी-जुकाम-बुखार के सामान्य लक्षण हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है, वे घर पर रह कर सावधानी बरतते हुए ठीक हो सकते हैं। मगर अब एक बार फिर दिल्ली सरकार की पेशानी पर बल उभर आए हैं।

यह त्योहारों का मौसम है। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। दूसरे राज्यों से आवागमन और सार्वजनिक वाहनों में यात्री संख्या संबंधी बंदिशें हटा दी गई हैं। दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां से बहुत सारी कारोबारी गतिविधियां संचालित होती हैं, अनेक उद्योग-धंधे दिल्ली के बाजारों पर निर्भर हैं। ऐसे में आसपास के राज्यों और शहरों से लोगों का यहां आना-जाना बढ़ गया है।

जाहिर है, इस खुलेपन और जरूरी उपायों पर अमल न किए जाने, प्रदूषण बढ़ने की वजह से दिल्ली में कोरोना का प्रकोप प्रचंड रूप लेने लगा है। इन तमाम पहलुओं के मद्देनजर दिल्ली सरकार क्या व्यावहारिक कदम उठा पाती है, देखने की बात है। फिलहाल लोगों से ही अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सेहत को लेकर जरूरी सावधानी बरतें।