जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के बयालीस जवानों के मारे जाने के बाद पूरे राज्य में सुरक्षा बलों को सावधान रखा गया था। सब जगह चौकसी थी। लेकिन गुरुवार को दोपहर फिर से एक आतंकी हमले से यही जाहिर हुआ है कि राज्य में फिलहाल आतंकवादियों को कम करके आंकना भूल होगी। गौरतलब है कि जम्मू में एक बस स्टैंड पर हुए बम धमाके में एक व्यक्ति की जान चली गई और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। सुरक्षा बलों की चौकसी के बावजूद यह हमला बताता है कि आतंकवादियों ने पूरे इलाके में अपना जाल बिछाया हुआ है और वे ऐसे बम विस्फोटों से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश करते रहते हैं।

बम विस्फोट के बाद जम्मू क्षेत्र के पुलिस निदेशक ने कहा कि घटना की प्रकृति को देखते हुए साफ है कि इसे सांप्रदायिक सौहार्द और शांति की स्थिति को बिगाड़ने की मंशा से अंजाम दिया गया। लेकिन जब आम लोग इस मंशा को समझने लगते हैं तो ऐसे हमलों का मकसद अपने आप नाकाम हो जाता है। इसके बावजूद यह सच है कि आतंकवादियों की हरकतों को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है। यह समझना मुश्किल है कि एक ओर जम्मू-कश्मीर में आतंक का माहौल बनाए रखने के लिए इस स्तर की हिंसा भी जारी रखी जा रही है और दूसरी ओर उनका समर्थन करने वाले अलगाववादी संगठन शांति से सारे सवाल सुलझ जाने की उम्मीद भी पालते हैं।

विडंबना है कि भारत सरकार जहां राज्य में शांति बहाली के लिए बातचीत से लेकर सुरक्षा तक के सभी मोर्चों पर चौकसी बरतने के इंतजाम में लगी है, वहीं आतंकी संगठन माहौल बिगाड़ कर समस्या को और ज्यादा जटिल बनाने की जुगत में लगे हैं। सवाल है कि बम हमलों में आम लोगों या फिर सुरक्षा बलों की जान ले लेने से किस तरह की समस्या का समाधान होगा? ऐसे आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले संगठन क्या यह समझ पाने में सक्षम नहीं हैं कि सरकार उन्हें रोकने के लिए सख्त कार्रवाई कर सकती है? इस तरह का माहौल बने रहने से किसे लाभ हो रहा है! हाल ही में पाकिस्तान ने मसूद अजहर के भाई सहित कई आतंकियों को गिरफ्तार कर आतंक का सामना करने के मामले में एक सकारात्मक संदेश दिया था। लेकिन अब जम्मू में फिर बम हमले की घटना से यही लगता है कि पाकिस्तान के ठिकाने से भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां संचालित करने वालों पर पूरी तरह काबू पाना अभी बाकी है।

दरअसल, पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की, तब से पाकिस्तान की ओर से किसी कार्रवाई की आशंका बनी हुई थी। लेकिन भारत के रुख को देखते हुए शायद फिर से आतंकियों के जरिए परोक्ष रूप से संदेश देने की कोशिश की गई है। आतंकी संगठनों को यह अंदाजा है कि ऐसे छोटे-छोटे हमले भी नागरिकों को खौफ में बनाए रख सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने कई कामयाब कार्रवाई करके आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। अब अगर आतंकियों और उनका समर्थन करने वाले अलगाववादी समूहों को यह समझना जरूरी नहीं लगता है कि उनकी गतिविधियों से कैसे हालात पैदा होंगे, तो देश के सुरक्षा बलों के सामने आतंकियों का सामना करने या उन्हें उचित जवाब देने के सिवा और क्या रास्ता बचेगा!