प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन द्वीपीय देशों की यात्रा का अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव श्रीलंका था। यों इस पड़ोसी देश के साथ भारत के रिश्ते हमेशा दोस्ताना रहे हैं, पर पिछले कुछ वर्षों में बीच-बीच में छोड़ी खटास भी आई, खासकर दो मुद््दों पर। एक मसला मछुआरों से संबंधित था, और दूसरा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पश्चिमी देशों की तरफ से लाए गए प्रस्ताव पर भारत के समर्थन का। इस पृष्ठभूमि को देखते हुए कहा जा सकता है कि दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। यह गौरतलब है कि दो महीने से भी कम समय में कूटनीतिक लिहाज से चार अत्यंत महत्त्वपूर्ण दौरे हुए। निश्चय ही इसका एक बड़ा कारण श्रीलंका में हुआ सत्ता परिवर्तन है। यह किसी से छिपा नहीं है कि महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए चीन की तरफ श्रीलंका का काफी झुकाव था। उनके उत्तराधिकारी यानी राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने इस रुख को पलटा तो नहीं है, पर संतुलित करने की पहल जरूर की है। भारत से नजदीकी बढ़ाने के प्रयासों को संतुलन साधने की कवायद से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
अट्ठाईस साल में पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री ने श्रीलंका की यात्रा की। फिर, तमिल बहुल उत्तरी प्रांत की राजधानी जाफना जाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वहां उन्होंने नई रेल लाइन को हरी झंडी दिखाई, जिसका जीर्णोद्धार भारत की मदद से हुआ है। इसके अलावा भी उन्होंने भारत की सहायता से पूरी हुई कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया। अलबत्ता अभी कई परियोजनाएं दो कारणों से पूरी नहीं हो पाई हैं। एक तो श्रीलंका सरकार से मंजूरी मिलने में देरी हुई। दूसरे, मंजूरी मिलने के बाद भारत की ओर से ढिलाई हुई। बहरहाल, इस मौके पर मोदी ने कहा कि भारत श्रीलंका की एकता और अखंडता का प्रबल हिमायती है, वहीं तमिलों के हितों के मद्देनजर उन्होंने श्रीलंकाई संविधान के तेरहवें संशोधन को पुरजोर ढंग से लागू करने की भी वकालत की और उससे आगे जाने की भी।
चंद दिनों पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के भारतीय मछुआरों के बारे में दिए गए बयान से विवाद खड़ा हो गया था। मोदी ने उचित ही विक्रमसिंघे के उस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की, विदेशमंत्री सुषमा स्वराज उस पर एतराज जता चुकी थीं। दोनों देशों के बीच वीजा-नियमों को उदार बनाने सहित चार समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें आपसी व्यापार में गैर-शुल्कीय बाधाएं कम करने, त्रिंकोमाली में पेट्रोलियम हब बनाने, नई दिल्ली और कोलंबो के बीच एअर इंडिया की सीधी उड़ान शुरू करने जैसी बातें शामिल हैं। मछुआरों से जुड़े विवाद का स्थायी समाधान निकालने पर सहमति बनी; पहले दोनों तरफ के मछुआरा-प्रतिनिधियों के बीच बातचीत चलेगी, फिर अधिकारियों के स्तर पर।
मॉरीशस को भारत ने पचास करोड़ डॉलर के ऋण की पेशकश की है। दोनों पक्षों ने दोहरे कराधान से बचाव की संधि का दुरुपयोग रोकने के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमति जताई है। सेशल्स के साथ भारत ने अक्षय ऊर्जा और ढांचागत विस्तार में सहयोग आदि चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन पिछले कुछ वर्षों से हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने में निरंतर जुटा रहा है। श्रीलंका में बहुत सारी परियोजनाओं में उसने भारी निवेश किया है। इसलिए यह सोचना खयाली पुलाव होगा कि श्रीलंका में चीन के प्रभाव को भारत जल्दी ही धो देगा। हां यह जरूर हुआ है कि कुछ सालों में भारत ने अपनी तरफ से रही ढिलाई दूर की है। भारत-श्रीलंका के संबंधों में बेहतरी के आगाज के साथ ही चीन के कोण से भी मोदी की इस यात्रा की कूटनीतिक अहमियत जाहिर है।
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