उम्मीद के मुताबिक जी20 के शिखर सम्मेलन में जिन बातों पर सहमति बनी है, उन्हें विश्व को बेहतर बनाने के प्रयासों का एक अहम हिस्सा कहा जा सकता है। इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान जी20 के मूल मकसद और इस समूह के सदस्य देशों के बीच अनेक मुद्दों पर बनी सहमति एक बड़ी उपलब्धि है। इसमें भारत की भूमिका जिस रूप में सामने आई है, उसे दुनिया भर में इसकी मजबूत उभरती छवि के तौर पर भी देखा जा सकता है। यह भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत में कई मुद्दों पर साथ देने के मामले में भी सामने आया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही एक इतिहास रचा गया
खासकर ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ पर सभी सदस्य देशों के बीच बनी सहमति में एक नई विश्व-दृष्टि की झलक मिलती है। खुद प्रधानमंत्री ने इस घोषणापत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसके साथ ही एक इतिहास रचा गया है; हम सर्वसम्मति और मनोभाव के साथ एकजुट होकर बेहतर, अधिक समृद्ध और समन्वित भविष्य के लिए सहयोग के साथ काम करने का संकल्प लेते हैं। निश्चित रूप से इस शिखर सम्मेलन में सद्भावना और औपचारिक प्रक्रियाओं के बीच यह एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम है।
इक्कीसवीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं और बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना
दरअसल, नई दिल्ली घोषणापत्र जिन बिंदुओं पर केंद्रित है, उन्हें विश्व भर में समावेशी विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इसके मुख्य केंद्रीय मुद्दों में मजबूत, दीर्घकालिक, संतुलित और समावेशी विकास के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों पर आगे बढ़ने में तेजी, दीर्घकालिक भविष्य के लिए हरित विकास समझौता, इक्कीसवीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं और बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना आदि शामिल हैं।
सभी नेताओं ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति-सुरक्षा के लिए बताया गंभीर खतरा
जाहिर है, आर्थिक सहयोग पर आधारित विकास के लिए काम कर रहे जी20 का नई दिल्ली घोषणापत्र भी इसके घोषित लक्ष्यों के अनुरूप है। इस आयोजन में यह भी उम्मीद थी कि सदस्य देशों के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी एक स्पष्ट राय सामने आएगी। इस मसले पर समूह के बाली में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के रुख को ही दोहराया गया कि सभी देशों को किसी भी अन्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। साथ ही परमाणु हथियारों का उपयोग या इसकी धमकी अस्वीकार्य है। इसके अलावा, सभी नेताओं ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बताया।
जाहिर है, मौजूदा विश्व में गंभीर चुनौतियों को संबोधित करते हुए सम्मेलन में फिर से व्यापक महत्त्व के मुद्दों पर साथ काम करने को लेकर सहमति बनी है। जी20 सम्मेलन से इतर भारत के लिए यह मौका कूटनीतिक तौर पर एक अतिरिक्त अवसर था, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति और हमारे प्रधानमंत्री के बीच सीधी बातचीत को एक अहम पक्ष के रूप में दर्ज किया जा सकता है। इसमें दोनों देशों ने विश्व कल्याण, रक्षा साझेदारी को मजबूत करने समेत कई मुद्दों पर साथ काम करने का संकल्प लिया।
अमेरिका के अलावा भारत ने कई अन्य देशों के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें आने वाले समय में दुनिया भर में आर्थिक, स्वास्थ्य, सामरिक और अन्य क्षेत्रों में उभर रही चुनौतियों का सामना करने के लिए नए आधुनिक तकनीकी संसाधनों से लेकर कूटनीतिक स्तर पर नई रूपरेखा के लिए सहमति बनी। कहा जा सकता है कि जी20 अपने घोषित उद्देश्यों को अब वैश्विक परिदृश्य में नया स्वरूप दे रहा है और भारत इसमें अब केंद्रीय भूमिका में है।