भारतीय सेना की तरफ से पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के तीसरे ही दिन बारामुला के सुरक्षा शिविर पर आतंकी हमला हो गया। इसमें सीमा सुरक्षा बल का एक जवान मारा गया और दो घायल हो गए। इस हमले के बाद फौजी कार्रवाई करके पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे आतंकी शिविरों को खत्म कर देने के भारत के दावों पर अंगुली उठनी स्वाभाविक है। यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल युद्ध की आशंका के मद्देनजर खासे मुस्तैद हैं। बारामुला में बीएसएफ और भारतीय थल सेना के कार्यालय हैं।

नियंत्रण रेखा से सटे जिन कुछ इलाकों को अधिक संवेदनशील माना जाता है उनमें बारामुला भी एक है। उड़ी जैसी संवेदनशील सैनिक छावनी पर हमले के थोड़े अंतर बाद ही बारामुला में आतंकी हमला भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा गया है। सवाल है कि जब विशेष उपग्रह के जरिए नियंत्रण रेखा पर आतंकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है, सेना और सुरक्षा बल चौकस हैं, रक्षा मंत्रालय के दावे के मुताबिक नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया गया है, फिर ये आतंकी किस तरह हमला करने में कामयाब हो गए। भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकी संगठनों की तरफ से बदले की कार्रवाई की आशंका तो जताई जा रही थी, पर वे इतनी जल्दी सिर उठा सकेंगे और एक संवेदनशील छावनी पर हमला करने में कामयाब हो जाएंगे, शायद किसी ने न सोचा होगा। इस हमले ने भारतीय सेना को एक बार फिर से सोचने पर विवश किया है कि सीमा पार से होने वाली घुसपैठ रोकने के लिए उसे क्या उपाय करने चाहिए।

यह है कि नियंत्रण रेखा सैकड़ों किलोमीटर लंबी है और उस पर हर वक्त सैनिकों की तैनाती संभव नहीं है। फिर कई इलाके इतने दुर्गम हैं कि उनमें घुसपैठियों पर नजर रखना खासा मुश्किल काम है। नियंत्रण रेखा पर लगी बाड़ भी बहुत भरोसेमंद नहीं रह गई है। कई जगह उसमें टूट-फूट हो चुकी है, जिसका लाभ घुसपैठ करने वाले उठाते हैं। निस्संदेह पाकिस्तानी सेना की शह पर सीमा पार से फिदायीन भारतीय सीमा में घुसपैठ और अपनी योजनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। पर सिर्फ इस आधार पर भारतीय सुरक्षा इंतजामों की कमजोर कड़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकियों को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

फिदायीन उधर से यह ठान कर चलते हैं कि उन्हें जिंदा वापस नहीं लौटना है, इसलिए वे अपनी योजनाओं को अंजाम देने में कई बार कामयाब हो जाते हैं। इसलिए उन पर नजर रखना ज्यादा बड़ी चुनौती है। भारतीय सेना और सुरक्षा बल अगर इस मामले में कमजोर साबित हो रहे हैं तो उन कमजोर पक्षों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। युद्ध का माहौल बना कर इस समस्या से पार पाना संभव नहीं है। यह भी छिपी बात नहीं है कि लश्कर जैसे आतंकी संगठन इस कदर बेकाबू हो चुके हैं कि उन पर शिकंजा कसना पाकिस्तान सरकार के बूते का नहीं रह गया है। इसलिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में आतंकवाद को लेकर जो माहौल बनाना शुरू किया है, उसके लिए मुस्तैदी से प्रयास करते रहने के साथ-साथ सीमा पार से होने वाली घुसपैठ रोकने के व्यावहारिक उपायों पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।