इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह उपलब्धियों के साथ-साथ अनेक स्तर पर खड़ी चुनौतियों पर बात की, उससे यही संदेश सामने आया है कि वे आने वाले वक्त में भी अपनी सक्रियता में कमी नहीं करने वाले हैं। यों आमतौर पर उनके भाषणों में समग्रता से तमाम मुद्दों पर बात होती है, उनका विस्तार होता है और उससे आगे बढ़ने की दृष्टि होती है, लेकिन इस बार स्वतंत्रता दिवस पर फिर उन्होंने फिर यही दर्शाया है कि देश में समस्याओं की व्यापकता के बरक्स उनका मोर्चा अभी कमजोर नहीं हुआ है।

यह प्रधानमंत्री के रूप में लगातार उनका दसवां संबोधन था, जिसमें उन्होंने देश को यह आश्वासन देने की कोशिश की कि हर तरह की समस्याओं का हल निकाला जाएगा और उनकी नजर से कुछ छूट नहीं रहा है। मसलन, पिछले दिनों मणिपुर में अशांति और हिंसा पर उनके जवाब की मांग लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोला था। लेकिन लाल किले से संबोधन में उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में ही मणिपुर में हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि केंद्र सरकार अब राज्य के साथ मिल कर समाधान के प्रयास कर रही है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान वैश्विक स्तर पर भारत की जो सकारात्मक छवि बनी है, उसके लिए लगातार किस स्तर के प्रयास किए गए, वह अब जगजाहिर है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने आने वाले दशकों में देश के तिरंगे को विकसित भारत का प्रतीक बनाने का जनता से आह्वान किया। खासतौर पर उन्होंने तीस साल के कम के युवाओं के महत्त्व का जिस अर्थ में जिक्र किया, उसे बेहतरीन क्षमताओं के सार्थक उपयोग के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है।

यह भविष्य के सपने के साथ-साथ आम लोगों का मनोबल ऊंचा करने की कोशिश भी है। इस क्रम में सरकार की स्थिरता के महत्त्व का जिक्र करते हुए उन्होंने पिछले दो आम चुनावों में मजबूत सरकार के गठन और सुधारों में उसकी भूमिका को रेखांकित किया। स्वाभाविक ही इसमें नौकरशाही की भी जिम्मेदारी रही और इसे भी वे नहीं भूले। भविष्य की दृष्टि में अतीत की कमजोरियों की पहचान एक अहम पहलू रही है। इसलिए प्रधानमंत्री की इस बात की अहमियत को भी समझा जा सकता है कि देश के अतीत में गुलामी की दुखद तस्वीरें है तो भविष्य में असीम संभावनाएं हैं।

आने वाले दशकों में दुनिया के तमाम देशों में अर्थव्यवस्था ही टिकाऊ विकास की धुरी रहने वाली है। इस लिहाज देखें तो एक बार फिर प्रधानमंत्री के इस दावे को भविष्य के आईने में देखा जाएगा कि दस साल में देश की अर्थव्यवस्था को दसवीं से उठा कर पांचवीं अर्थव्यवस्था बनाया गया। इसके समांतर वैश्विक स्तर पर महंगाई एक गंभीर चुनौती के रूप में दिख रही है और भारत भी इससे जूझ रहा है।

एक बड़ी उपलब्धि का मोर्चा देश में आतंकवाद की समस्या से निपटना रहा, जिसमें प्रधानमंत्री की इस बात पर गौर किया जा सकता है कि आज देश में आतंकी हमलों में कमी आई है और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव आया है। पिछले कुछ सालों में एक अहम पहलू महिलाओं के सशक्तीकरण को लक्षित कार्यक्रम रहे हैं। इसी को दर्ज करते हुए उन्होंने कहा कि देश माताओं-बहनों के सामर्थ्य से आगे बढ़ा है।

गौरतलब है कि 2024 में आम चुनाव होने वाले हैं और शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए उन्होंने अगले साल भी लाल किले से देश की उपलब्धियां बताने का भरोसा दिया। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को ‘तीन बुराइयों’ के रूप में गिनाने को भी राजनीतिक चुनौतियों से जूझने की तैयारी के तौर पर देखा जा सकता है।