अब एक बार फिर जासूसी का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया लगता है। दुनिया के सबसे सुरक्षित मोबाइल फोन और कंप्यूटर बनाने का दावा करने वाली कंपनी एप्पल ने अपने उत्पाद का उपयोग करने वालों को संदेश भेजा है कि उनके फोन में पेगासस जासूसी साफ्टवेयर के जरिए सेंधमारी की जा सकती है, इसलिए सावधान रहें।
यह संदेश उसने मेल के जरिए भारत सहित इक्यानबे देशों के लोगों को भेजा है। करीब छह महीने पहले भी उसने भारत के कुछ लोगों को चेतावनी भेजी थी कि उनका फोन पेगासस के निशाने पर हो सकता है। उनमें ज्यादातर लोग विपक्षी दलों के नेता थे, इसलिए इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। मगर सरकार के दबाव में तब एप्पल ने अपनी उस चेतावनी को बहुत धुंधला कर दिया था।
इस बार उसने बहुत गंभीरता और भरोसे के साथ अपने ग्राहकों को चेतावनी दी है कि आपके फोन को ‘मर्सीनरी स्पाईवेयर’ के जरिए निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि उसने उन लोगों के नाम उजागर नहीं किए हैं, जिनके फोन में इस जासूसी साफ्टवेयर के जरिए सेंधमारी के तथ्य उसे हाथ लगे हैं। मगर कंपनी ने माना है कि इस तरह के हमले दुनिया भर हो रहे हैं।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एप्पल के अत्यंत सुरक्षित माने जाने वाले फोन में सेंधमारी की जा रही है, तो बाकी एंड्रायड से चलने वाले फोनों की सुरक्षा का क्या हाल होगा। चूंकि एप्पल का सारा कारोबार इसी विश्वास पर टिका हुआ है कि उसके फोन और कंप्यूटर में कोई सेंधमारी नहीं कर सकता, उसके लिए भी यह बड़ी चुनौती बन चुका है।
एप्पल ने माना है कि यह घुसपैठ किसी सामान्य साइबर सेंधमार के वश की बात नहीं है, क्योंकि जिस साफ्टवेयर के जरिए यह हमला किया जा रहा है, उस पर लाखों डालर का खर्च आता है और उसे लेना सबके बूते की बात नहीं। एप्पल इस साफ्टवेयर से पार पाने का कोई इंतजाम कर पाएगी या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, मगर दुनिया की तमाम सरकारें अब फिर से लोगों की निजता में सेंध लगाने को लेकर निशाने पर आ जाएंगी।
करीब तीन साल पहले भारत में जब पेगासस के इस्तेमाल की बात सामने आई थी, तब खासा बवाल मचा था। सर्वोच्च न्यायालय में कई अपीलें दायर की गई थीं। यह साफ्टवेयर इजराइल की सरकार बेचती है और उसका कहना है कि वह इसे किसी स्वतंत्र व्यक्ति या कंपनी को नहीं बेचती, बल्कि सरकारों को देती है। इसलिए भी यह मामला ज्यादा गंभीर बन गया था।
साइबर सेंधमारी से लेकर डीपफेक आदि पहले ही भारत जैसे देश में एक गंभीर समस्या के रूप में सामने है, जिससे पार पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में अगर पेगासस जैसे साफ्टवेयर के जरिए जासूसी और सेंधमारी का मामला सिद्ध होता है, तो यह ज्यादा गंभीर बात होगी।
यह साफ्टवेयर दरअसल एक प्रकार का गुप्त भेदिया है, जो ग्राहक की नजरों से ओझल रह कर उसके फोन के जरिए उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है। इस साफ्टवेयर को चुपके से किसी के भी फोन में डाला जा सकता है और फिर उस फोन के कैमरे, माइक वगैरह को अपने ढंग से संचालित किया जा सकता है। एप्पल के दावों को दरकिनार करना मुश्किल है। इस तरह सेंधमारी हो रही है, तो यह लोगों की निजता पर बड़ा आघात है। इस पर सरकार को गंभीरता से पहल करनी चाहिए।