तकनीक ने जहां आम जनजीवन को सुविधाजनक बनाया है, वहीं इसका दुरुपयोग करने वालों ने इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जैसे-जैसे लोगों की निर्भरता और व्यस्तता इंटरनेट पर बढ़ने लगी, अवैध रूप से आर्थिक गतिविधियां चलाने वाले गिरोहों ने उसी रास्ते लोगों को फंसाना शुरू कर दिया। मसलन, सट्टेबाजी का धंधा चलाने के लिए कई ऐप चलाए और उसके जरिए बिना मेहनत के अकूत कमाई के सपने परोसे जाने लगे। इस तरह के जाल में फंसने वाले ज्यादातर लोगों को नुकसान ही हुआ, लेकिन ऐसे ऐप संचालित करने वालों ने करोड़ों-अरबों रुपए की कमाई से अपना व्यापक कारोबार खड़ा कर लिया।
देशभर में उनतालीस ठिकानों पर छापामारी, 417 करोड़ की संपत्ति जब्त
गौरतलब है कि शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने महादेव आनलाइन सट्टेबाजी ऐप को लेकर एक बड़ी कार्रवाई की और इस मामले में देश भर में उनतालीस ठिकानों पर छापेमारी कर चार सौ सत्रह करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की। छत्तीसगढ़ के रहने वाले दो लोग महादेव सट्टेबाजी ऐप के संचालक हैं और मौजूदा समय में ईडी के निशाने पर हैं।
ऐप संचालक ने शादी की तो समारोह में करीब दो सौ करोड़ रुपए नकद खर्च किए
सट्टेबाजी के जरिए संयुक्त अरब अमीरात में बनाए गए साम्राज्य का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसी साल फरवरी में इस ऐप के एक संचालक ने जब वहां शादी की तो उस समारोह में करीब दो सौ करोड़ रुपए नकद खर्च किए गए। उसमें मुंबई फिल्म जगत से कई गायकों और अभिनेताओं को प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया था और सबको हवाला के जरिए बड़ी रकम का भुगतान किया गया।
ईडी की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि महादेव बुक ऐप और सट्टेबाजी का मामला छत्तीसगढ़ के कुछ राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों से भी जुड़ा है। इस ऐप का सालाना कारोबार लगभग बीस हजार करोड़ रुपए का था। जाहिर है, इस धंधे के संचालकों ने यह कारोबार कोई एक दिन में नहीं खड़ा कर लिया। पैसे के लेनदेन और खासकर डिजिटल तरीके से आनलाइन और गैरकानूनी आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखने का दावा करने वाले संबंधित महकमों के कामकाज करने का तरीका आखिर क्या है कि कोई भ्रष्टाचार इस स्तर तक पहुंचने के बाद पकड़ में आता है।
आए दिन सट्टेबाजी के खिलाफ अभियान छेड़ने और इसके जरिए किसी तरह का अवैध कारोबार करने वालों पर शिकंजा कसने के दावे के बरक्स हकीकत यह है कि आज बड़े पैमाने पर लोग अलग-अलग तरीके से सट्टेबाजी के जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा रहे हैं।
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों के दौरान किसी भी तरीके से पैसे कमाने की जैसी भूख पैदा हुई है, उसमें बहुत सारे लोगों को इसमें कोई हिचक नहीं होती कि पैसा किस रास्ते से हासिल किया गया। कई लोग जुआ और सट्टेबाजी का सहारा लेकर रातों-रात अमीर बनने की ख्वाहिश पालते और इसके संजाल में फंस भी जाते हैं।
ऐसे ही लोगों की धनी बनने की भूख को भुना कर सट्टेबाजी का तंत्र संचालित करने वाले माफिया अपना कारोबार खड़ा करते और दूसरों की मेहनत की कमाई को अलग-अलग तरीके से लूट कर अपना आर्थिक साम्राज्य कायम करते हैं। सरकार को जहां इस तरह के धंधे पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए, वहां आनलाइन सट्टेबाजी पर जीएसटी लगाने की बात कर परोक्ष रूप से उसके लिए जगह मुहैया कराने की कोशिश हो रही है। जबकि सट्टेबाजी के जरिए गैरकानूनी रूप से करोड़ों-अरबों रुपए की कमाई करने और प्रकारांतर से जुआ खेल कर अमीर बनने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की तत्काल जरूरत है।