इस बार अंतरिम बजट होने की वजह से सरकार ने किसी प्रकार की महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा करने से परहेज किया है। मगर बजट का जोर महिलाओं, किसानों, युवाओं और गरीब लोगों के जीवन में बेहतरी पर है। वित्तमंत्री ने इन वर्गों के लिए पहले से चलाई जा रही योजनाओं में और बढ़ोतरी का एलान किया। गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का दायरा बढ़ा कर मध्यवर्ग तक करने की घोषणा की।
तीन करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिल चुका है, दो करोड़ लोगों को अगले पांच वर्षों में लाभ दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री किसान निधि के तहत पौने बारह करोड़ से ऊपर और फसल बीमा योजना के तहत चार करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने का उल्लेख किया गया है। किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ और योजनाओं का संकल्प दोहराया गया है।
इसी तरह महिला उद्यमशीलता में अट्ठाईस फीसद की बढ़ोतरी का उल्लेख किया गया। पच्चीस करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकालने को भी रेखांकित किया गया है। हालांकि इन योजनाओं के तहत हासिल उपलब्धियों का उल्लेख पहले भी कई मौकों पर होता रहा है। हाल ही में एक करोड़ घरों की छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ का भी इस बजट में उल्लेख है। इससे इन परिवारों को हर महीने करीब तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली मिलने का दावा किया गया है।
अब रेलवे बजट का लेखा-जोखा भी आम बजट में समाहित होता है। इसलिए इस बार के बजट ही में चालीस हजार रेलवे बोगियों को ‘वंदे भारत’ बोगियों में परिवर्तित करने और तीन नए ‘कारिडोर’ शुरू करने का उल्लेख किया गया है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं और उसे लेकर रेल सुरक्षा की जरूरतें रेखांकित की जाती रही हैं, उसमें इस दिशा में कुछ योजनाओं की घोषणा अपेक्षित थी, पर इसे लेकर कोई ठोस वादा नहीं किया गया है।
हवाई सेवाओं में बेहतरी लाने पर भी जोर दिया गया है। लोग कम समय में और सुरक्षित सफर करना चाहते हैं। ऐसी सुविधा उपलब्ध कराना हर सरकार का दायित्व भी है। मगर निम्न और मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए रेल का सफर महंगा होता जा रहा है, गाड़ियों के समय पर न पहुंच पाने से असुविधाएं बढ़ रही हैं। इन पहलुओं पर भी ध्यान देने की अपेक्षा की जाती है।
हालांकि अंतरिम बजट में अगले वित्तवर्ष के लिए लक्ष्य तय करने और नई योजनाओं की घोषणा की गुंजाइश नहीं रहती, फिर भी चुनावी वर्ष होने की वजह से सरकारें इसमें लोकलुभावन योजनाओं और उनमें अपनी उपलब्धियों के उल्लेख का लोभ संवरण नहीं कर पातीं। इस बजट पर भी चुनाव की छाया साफ दिखती है।
यों हर बजट में नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद होती है कि उन्हें करों में कुछ राहत मिलेगी, मगर इस बजट में उसे लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। पुरानी दरों को यथावत रखा गया है। उत्पाद या सीमा शुल्क पर कुछ नहीं कहा गया, इसलिए आम उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में न तो कमी होगी, न इजाफा होगा।
इससे लोगों को निराशा भी हो सकती है। जिस तरह विकास दर ऊंची रखने के दावे किए जा रहे हैं, उसमें महंगाई, बेरोजगारी, व्यापार घाटा पाटने, राजकोषीय घाटे पर काबू पाने संबंधी बिंदुओं पर भी कुछ ठोस पहलकदमियों के उल्लेख की उम्मीद स्वाभाविक थी।