इजरायल और हमास के बीच जारी जंग का हासिल क्या रहा है, यह दुनिया देख और समझ रही है। खासतौर पर इस युद्ध में जिस तरह बच्चों को भी हमले का शिकार बनाया गया, हजारों बच्चे मारे जा चुके हैं और रोजाना सैकड़ों युद्ध की चपेट में आ रहे हैं, वह युद्ध के बर्बर चेहरे को ही दर्शाता है। हमले का निशाना बन कर जान गंवाने वाले बच्चों के अलावा ऐसे तमाम मासूम हैं, जिन पर जंग के त्रासद हालात और हमले के तौर-तरीकों का भयावह मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा है।
गाजा में बच्चों की हालत रोंगटे खड़ी करने वाली है
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय चिकित्सकों की एक टीम हाल ही में जब गाजा पहुंची तो वहां युद्ध का व्यापक असर बच्चों पर देख कर स्तब्ध रह गई। ऐसे तमाम बच्चे थे, जो हमले में बुरी तरह घायल हो गए या जिनकी जान चली गई। ऐसे बच्चों की तकलीफ का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता जो खुद घायल हो गए और युद्ध में मारे गए अपने माता-पिता को रोते-तड़पते हुए खोज रहे हैं या जिनकी मानसिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है। सवाल है कि हमास के हमले के बहाने इजराइल ने जवाब के तौर पर जिस जंग की शुरुआत की थी, उसका मकसद क्या था? उसके हमले में जितने हमास के आतंकी मारे गए, उनके मुकाबले कितने आम नागरिकों की जान जा चुकी है?
एक आंकड़े के मुताबिक इजराइल के हमले में अब तक बारह हजार से ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है। अपने कथित जवाबी हमले के दौरान इजराइल ने बुनियादी मानवीय नैतिकता की तो दूर, युद्ध से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों तक का ध्यान रखना जरूरी नहीं समझा। यहां तक कि युद्ध से बचने के लिए लोगों के पनाह लेने वाली जगहों और अस्पतालों तक पर बमबारी की गई। अब इस युद्ध के शिकार बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जैसी खबरें आ रही हैं, वे बताती हैं कि हमास को पर्दा बना कर इजराइल ने जो रुख अख्तियार किया हुआ है, उसके शिकार निर्दोष लोग और मासूम हो रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि सबसे शुरुआती दौर में हमास के हमले ने समूची दुनिया में उसके खिलाफ आक्रोश पैदा किया। मगर उसके बाद से इजराइल का जो रुख बना हुआ है, उसका बचाव करना खुद उसके मित्र देशों तक के लिए मुश्किल हो गया है!