इस महीने के शुरुआती हफ्ते में इजराइली सीमा में घुस कर हमास ने जो हमला किया था, उसने स्वाभाविक ही सभी लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि आतंकवाद की शायद कोई सीमा नहीं है! मानवीयता में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस तरह के हमले का समर्थन नहीं कर सकता। लेकिन उसके बाद इस समूचे इलाके में शुरू हुए युद्ध ने अब जो शक्ल अख्तियार कर ली है, उसने समूची दुनिया के सामने चिंता पैदा कर दी है कि आखिर यह कहां जाकर रुकेगा।
हमास के हमले में बड़ी तादाद में इजराइली मारे गए थे। अब उसके प्रतिकार में इजराइल जिस तरह हमला जारी रखे हुए है, उसमें दावा यही किया जा रहा है कि निशाने पर हमास के आतंकवादी हैं, मगर हकीकत यह है कि गाजा पट्टी में लगातार बमबारी की वजह से बड़े पैमाने पर आम नागरिक मारे जा रहे हैं। सवाल है कि क्या युद्ध के दौरान देशों के लिए बने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सीमाओं का खयाल रखना किसी पक्ष के लिए जरूरी नहीं रह गया है!
गौरतलब है कि मंगलवार को इजराइल ने गाजा पट्टी पर चौबीस घंटे के दौरान लगातार हवाई हमलों के जरिए बमबारी की, जिसमें सात सौ से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबरें आईं। गाजा पर इजराइली बमबारी में एक दिन में मरने वालों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। हालांकि इजराइल का कहना है कि उसने हमास के ठिकानों पर हमले किए हैं, लेकिन सवाल है कि इतनी बड़ी तादाद में आम लोगों को शिकार बनाने से किसका और किस तरह का मकसद पूरा हो रहा है? हमास के हमले का जवाब देने के क्रम में फिलहाल इजराइल का जो तेवर दिख रहा है, उसमें शायद इस बात की फिक्र नहीं है कि युद्ध में कौन मारा जा रहा है और किसे बख्शना है।
अब तक गाजा पट्टी में करीब छह हजार से ज्यादा आम नागरिकों की मौत की खबरें आ चुकी हैं। इनमें लगभग आधे नाबालिग या बच्चे थे। यह बेवजह नहीं है कि अब दुनिया भर में इस बात को लेकर गहरी चिंता पैदा हो रही है कि इन हमलों का सिरा आखिर कहां जाकर रुकेगा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस की यह व्यथा समझी जा सकती है कि गाजा में हो रहे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन चिंताजनक है… किसी भी सैन्य संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होती है।
भारत ने भी बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में युद्ध की वजह से लगातार बिगड़ती स्थिति और संघर्ष में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की मौत को लेकर गहरी चिंता जताई। भारत ने सभी पक्षों से शांति के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाने, तनाव कम करने और हिंसा से बचने सहित सीधी बातचीत फिर से शुरू करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
यों भी भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा लेने का पक्ष लिया है और इजराइल में हमास के हमले में भी इसका रुख स्पष्ट रहा। लेकिन फिलहाल गाजा पट्टी में साधारण लोग बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित किए जाने सहित व्यापक पैमाने पर इलाका खाली करने जैसे त्रासद हालात का सामना कर रहे हैं और इजराइली हवाई हमले में मारे जा रहे हैं, उसके प्रति चिंता जाहिर करना भी भारत सहित मानवता के प्रति सरोकार रखने वाले किसी भी देश की जिम्मेदारी है।
विडंबना यह है कि हमास के हमले और उसके बाद शुरू हुए युद्ध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों और युद्ध अपराधों का खयाल रखना भी जरूरी नहीं माना जा रहा है। नतीजतन, इसमें वैसे लोग मारे जा रहे हैं, जो युद्ध और आतंकवाद के लिए जिम्मेदार नहीं हैं और इससे उनका कोई वास्ता नहीं रहा!
