अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले पांच-छह महीने की तमाम कवायदों के बावजूद अब भी अगर कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है तो निश्चित रूप से यह चिंता की बात है। हालत यह है कि कोरोना से जंग में इतनी जद्दोजहद के बाद आज भी विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ स्थिति और खराब होने की आशंका जता रहा है। इस चिंता का आधार यह है कि दुनिया के कई देश कोरोना से निपटने के मामले में गलत दिशा में जा रहे हैं। इस वजह से कोरोना से संक्रिमत लोगों और मरने वालों की तादाद में और बढ़ोतरी हो रही है।

दरअसल, अपने ताजा बयान में डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने कहा कि जिन एहतियात और उपायों की बात की जा रही है, उनका पालन नहीं किया जा रहा है; अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह महामारी बद से बदतर होती जाएगी। यह समझा जा सकता है कि डब्ल्यूएचओ की चिंता विश्व भर में कोरोना के फैलते पांव के मद्देनजर है और इसके आकलन के मजबूत आधार होंगे। मगर सवाल है कि आखिर किन वजहों से कोरोना से बचाव के लिए एहतियाती उपाय करने के मामले में कुछ देश लापरवाही बरत रहे हैं।

हालांकि शुरुआत में डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के मुताबिक दुनिया भर में अलग-अलग देशों में इससे बचाव के लिए जिस तरह के कदम उठाए गए, उससे इस महामारी पर काबू पाने की उम्मीद की गई थी। लेकिन आज भी इस बीमारी से संक्रमित लोगों और मरने वालों के जैसे आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि या तो इससे बचाव के लिए जरूरी दिशा-निर्देशोंं पर अमल में कोताही बरती जा रही है या फिर यह बीमारी पर काबू पाना अभी संभव नहीं हो पा रहा है।

गौरतलब है कि कोरोना से बचाव का अब तक कोई चिकित्सकीय उपाय नहीं निकल पाया है, इसलिए फिलहाल इससे बचाव ही एक रास्ता है और यह कोई बहुत मुश्किल नहीं है। मसलन, डब्ल्यूएचओ ने अपने दिशा-निर्देश में लोगों के बीच आपस में थोड़ी दूरी बरतने, हाथ धोने और मास्क पहनने जैसे बहुत साधारण उपायों को शामिल किया है, जिससे कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकता है। लेकिन अफसोस है कि सिर्फ इतने उपाय करने में भी कुछ देशों में कोताही बरती जा रही है। जबकि इस वायरस के बारे में जैसे अध्ययन सामने आ रहे हैं, उससे यही लगता है कि निकट भविष्य में पहले की तरह सब कुछ सामान्य नहीं हो पाएगा।

ऐसे में डब्ल्यूएचओ की यह चिंता वाजिब लगती है कि अगर बचाव के बुनियादी उपायों का पालन नहीं किया गया तो महामारी की स्थिति बदतर होती जाएगी। यह दुनिया भर के लिए एक जटिल चुनौती है, क्योंकि मौजूदा स्थिति में लगभग सभी देशों की समूची ऊर्जा कोरोना से लड़ने में जा रही है और आर्थिक मोर्चे पर हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से भी यह चिंता जताई गई है कि बहुत सारे देशों के सामने विभिन्न स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियां हैं। लेकिन संक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं।

मुश्किल यह है कि पिछले कई महीने से कई देशों में पूर्णबंदी के बावजूद लगातार संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी होती गई है। ऐसे में यह सवाल लोगों को परेशान कर रहा है कि आखिर इस पर काबू पाने के क्या उपाय हैं। कोरोना से बचाव के टीके को लेकर कई देशों में तेजी से काम हो रहा है, लेकिन इस मामले में बहुत सावधानी बरते जाने की जरूरत है। इतना तय है कि लंबे समय तक अगर यह स्थिति बनी रही तो बहुत सारे देश आर्थिक और स्वास्थ्य सहित कई स्तरों पर बहुत कठिन चुनौतियों से घिर जाएंगे।