दो हजार रुपए के नोट बंद करने की घोषणा के साथ ही कुछ लोगों में हड़बड़ी और चिंता नजर आने लगी। इसलिए कि लोगों के मन से अभी पिछली नोटबंदी की स्मृतियां मिटी नहीं थीं। तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। ऐसे वातावरण में अफवाहों का दौर भी चलता ही है, इसलिए नोट बदलवाने में आने वाली परेशानियों को बढ़ा-चढ़ कर पेश किया जाने लगा।
दो हजार रुपए के नोट के बदले सोने-चांदी की खरीद पर कमीशनखोरी शुरू हो गई। दुकानदारों ने अलग-अलग दरें तय कर दीं। इन स्थितियों से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया है कि लोगों को बिल्कुल हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है। बैंक नियमों के मुताबिक ही नोट बदले जा सकेंगे। अगर कोई पचास हजार रुपए से अधिक अपने खाते में जमा करा रहा है, तभी उससे पहचान संबंधी दस्तावेज मांगे जाएंगे। नोटों की कोई कमी नहीं है, वक्त भी पर्याप्त है। यह स्पष्टीकरण नोट बदलने की प्रक्रिया शुरू होने से एक दिन पहले उन्होंने दिया। जाहिर है, इससे लोगों के मन में बैठी शंकाओं का निराकरण हुआ है और इससे ठगी करने वालों पर लगाम लगेगी।
वैसे भी सामान्य लोगों के पास दो हजार के नोट कम ही होंगे, इसलिए कि पिछले काफी समय से मशीनों से दो हजार रुपए के नोट निकल ही नहीं रहे थे, बैंकों से भी कम ही नोट मिल पाते थे। बाजार में फुटकर की समस्या को देखते हुए बहुत सारे लोग दो हजार रुपए का नोट रखने से बचते थे। इसके बावजूद अगर कुछ लोगों ने बचत के उद्देश्य से दो हजार रुपए के नोट जमा कर रखे होंगे, तो वे इतने नहीं होंगे कि उन्हें बदलवाने के लिए कई बार कतार में लगना पड़े।
मुश्किलें उन लोगों के सामने खड़ी हो सकती हैं, जिन्होंने काले धन के रूप में बड़ी मात्रा में नोट जमा कर रखे हैं। हालांकि शक्तिकांत दास का कहना है कि वे आश्वस्त हैं कि दो हजार के सारे नोट रिजर्व बैंक में वापस आ जाएंगे। हालांकि इस बात का उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया कि इतने कम समय में नोट वापस लेने की जरूरत क्यों पड़ गई। शक्तिकांत दास का कहना है कि दो हजार रुपए के नोट इसलिए शुरू किए गए थे कि सात साल पहले की नोटबंदी के समय पैसे की किल्लत को दूर किया जा सके, वह जरूरत अब पूरी हो गई है।
मगर यह हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि दो हजार रुपए के नोट आने के साथ ही उनकी जमाखोरी कालेधन के रूप में होनी शुरू हो गई थी। यही वजह है कि दो हजार रुपए के ज्यादातर नोट बाजार से नदारद हो गए। इसलिए रिजर्व बैंक ने भी शुरुआती तर्क यही दिया था कि दो हजार रुपए के नोट बंद करने से काले धन पर चोट पहुंचेगी। मगर बदलने के लिए इतना लंबा वक्त मिलने से कालेधन को सफेद करने में भला क्या मुश्किल होगी।
पिछली बार जब तत्काल प्रभाव से नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे, तब भी काले धन को सफेद करने में कोई मुश्किल नहीं आई थी, तो अब क्या मुश्किल होगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बेशक नोट बदलने में कोई दिक्कत न आने का भरोसा दिलाया है, पर सच्चाई यही है कि सामान्य लोगों और कारोबारियों के लिए यह काम उतना आसान है नहीं, क्योंकि बाजार में कई दुकानदारों ने दो हजार का नोट लेना बंद कर दिया है।