राजस्थान के कोटा जिले में महाशिवरात्रि उत्सव में लापरवाही भारी पड़ी और उसकी कीमत पंद्रह बच्चों सहित कई लोगों को चुकानी पड़ी। खबर के मुताबिक, इस अवसर पर निकाली गई शिव बरात में शामिल एक बच्चे के हाथ में एक लंबा झंडा था, जो ऊपर से गुजर रहे उच्च क्षमता के तार से छू गया और उसमें करंट फैल गया।
इसकी चपेट में कई बच्चे और अन्य लोग आ गए। इसमें कुछ बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए। सामान्य तौर पर इसे चूक की वजह से हुआ हादसा माना जाएगा, मगर सच यह है कि इसके जिम्मेदार आयोजक और स्थानीय प्रशासन है। सवाल है कि इस उत्सव के आयोजकों को क्या वहां होने वाले जमावड़े और गतिविधियों का अंदाजा नहीं था! जिन इलाकों से शिव बरात में शामिल लोग और बच्चे ऊंचे झंडे लेकर गुजर रहे थे, उसमें आयोजकों को यह सुनिश्चित करना जरूरी क्यों नहीं लगा कि वे वहां से गुजर रहे उच्च क्षमता के तार का ध्यान रख कर चलने की व्यवस्था करें?
धार्मिक त्योहारों या जुलूसों के दौरान देश भर से ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जिनमें आयोजकों की लापरवाही की वजह से कभी भगदड़ मच जाती है तो कहीं बिजली का करंट लगने से हादसा हो जाता है और लोगों की जान चली जाती है। यानी जो लोग किसी सार्वजनिक उत्सव में अपनी खुशी साझा करने जाते हैं, कई बार उन्हें आयोजकों की लापरवाही का खमियाजा भुगतना पड़ता है।
सवाल है कि अक्सर होने वाले ऐसे हादसों के बावजूद स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना जरूरी क्यों नहीं लगता कि अगर उस दौरान लोगों की भीड़ जमा हो रही है या कोई जुलूस निकल रहा है, तो हर स्तर पर उसका सुरक्षित होना तय किया जाए। जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है और मामला तूल पकड़ लेता है तब प्रशासन की नींद खुलती है। जरूरत है कि किसी भी अवसर पर ज्यादा संख्या में लोगों के जमा होने पर वहां सब कुछ सुरक्षित होने को लेकर एक ठोस दिशानिर्देश तय किए जाएं।