मुंबई हवाई अड्डे पर अस्सी वर्ष के एक बुजुर्ग की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि वहां उसे समय पर पहिएदार कुर्सी मुहैया नहीं कराई गई, जबकि इसके लिए पहले ही अनुरोध कर दिया गया था। मगर संबंधित विमानन कंपनी का कहना है कि पहिएदार कुर्सी की किल्लत थी और बुजुर्ग को इंतजार करने के लिए कहा गया था, मगर वे पैदल ही चल पड़े। सवाल है कि न्यूयार्क से चल कर मुंबई पहुंचे बुजुर्ग ने अगर पहले ही इसके लिए बुकिंग कराई थी, तब उसे सही समय पर कुर्सी मुहैया कराना किसकी जिम्मेदारी थी?
हवाई यात्रा में अव्यवस्था से खड़ा होता है संकट
विमान यात्रा के दौरान हवाई अड्डे पर पहुंचने से लेकर हर स्तर पर अगर कोई यात्री जाने-अनजाने में नियम के विरुद्ध कोई व्यवहार करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने में पूरी सक्रियता बरती जाती है। इसका मकसद होता है कि किसी भी तरह की अव्यवस्था न पैदा हो, क्योंकि विमान यात्रा बेहद संवेदनशील होती है और उसमें मामूली गलती भी बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। इसका एक संदेश यह भी है कि विमान सेवाओं को संचालित करने वाले महकमे की ओर से भी कोई लापरवाही न बरती जाए। मगर आए दिन देखा जाता है कि अव्यवस्था की वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
10-12 घंटे की देरी को सामान्य बता दिया जाता है
ज्यादा दिन नहीं हुए, जब एक यात्री विमान के शौचालय में गया और तकनीकी खराबी की वजह से उसी में बंद हो गया। उसे उसी में बंद रह कर यात्रा पूरी करनी पड़ी। इसके अलावा, खराब मौसम या अन्य वजहों से हवाई यात्रा में दस-बारह घंटे या इससे ज्यादा वक्त की देरी को भी सामान्य मान लिया जाता है।
हाल ही में एक विमान के यात्री हवाई पट्टी पर ही उतर कर खाना खाने या वक्त काटने लगे। सुरक्षा जांच से गुजरने और उड़ान भरने के बाद तकनीकी खराबी की वजह से विमान को आपात स्थिति में फिर से उतारने की घटनाएं भी सामने आईं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक बेहद छोटी खामी के चलते विमान यात्रियों के साथ क्या हो सकता है।
यह सब भी अव्यवस्था के ही अंतर्गत दर्ज किया जाना और इसके लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, नियमों के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए। मुंबई हवाई अड्डे पर पहिएदार कुर्सी मुहैया न होने से बुजुर्ग की मौत एक सबसे व्यवस्थित मानी जाने वाली सेवा की कलई खोलती है।