पीड़ित लड़की अपनी बहन के साथ जा रही थी कि मोटरसाइकिल पर सवार और चेहरे को ढके दो युवकों में से एक ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। देखने-सुनने में यह घटना साधारण अपराधों की एक कड़ी की तरह लगती है, लेकिन सच यह है कि सिर्फ इतने भर से उस लड़की के लिए बाकी की जिंदगी में जो दंश पैदा हो गए, उसका दुख सिर्फ वही महसूस कर पाएगी। खबर के मुताबिक, पीड़ित लड़की के पिता ने बताया कि बेटी ने इससे पहले अपने साथ किसी तरह की उत्पीड़न की बात नहीं की थी।
फिर भी अगर उस पर इस तरह का हमला हुआ है तो संभव है कि आसपास के किसी आपराधिक मानस वाले युवक ने सोच-समझ कर ही इसे अंजाम दिया होगा। मामले के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली पुलिस ने घटना में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लेने का दावा किया। मगर यह समझना मुश्किल है कि आखिर इस तरह की हिंसा और कुंठा के स्रोत क्या हैं और किसी महिला पर तेजाब फेंकने वाला व्यक्ति एक पल के लिए भी इसका अंजाम क्यों नहीं सोच पाता।
दरअसल, ऐसी वारदात के पीछे एक आम वजह यह मानी जाती है कि किसी युवक के एकतरफा प्यार या उसकी मनमानी का लड़की विरोध करती है या मना कर देती है। सिर्फ इतने भर के लिए प्रतिक्रिया में कोई पुरुष अगर तेजाब से हमला कर लड़की की जिंदगी बर्बाद करने की मंशा पाल लेता है तो इससे यही पता चलता है कि उसके भीतर संवेदना जैसी कोई चीज कभी थी ही नहीं।
प्रेम जैसी भावना किसी भी स्थिति में हिंसा की इजाजत नहीं देती है। इसलिए ऐसे मामलों को केवल एकतरफा प्रेम में नाकामी की प्रतिक्रिया के तौर पर देखना एक अपरिपक्व समझ है। ऐसे लड़के या पुरुष बुनियादी रूप से महिला पर एकाधिकार की असभ्य और विकृत मानसिकता का ही शिकार होते हैं, जिसकी परिणति आपराधिक हरकत के रूप में सामने आती है। ऐसे अपराधों का दायरा केवल तेजाबी हमले को अंजाम देने वालों तक ही सीमित नहीं है।
सवाल है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले ऐसे लोगों को आसानी से तेजाब कहां से उपलब्ध हो जाता है। दरअसल, तेजाब की बिक्री को लेकर जो नियम-कायदे हैं भी तो उसका असर सिर्फ कागजों तक सीमित है। स्वाभाविक ही दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने यह सरकार से यह तल्ख सवाल पूछा कि कई बार नोटिस देने के बाद भी तेजाब की खुदरा बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती! उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपना सरोकार जताया कि यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता… अपराधियों की इतनी हिम्मत आखिर कैसे हो गई।
सवाल है कि दिल्ली में हर जगह तेजाब की खुली बिक्री के लिए कौन जिम्मेदार है? फिर दिल्ली में सीसीटीवी और अन्य उपायों से महिलाओं के लिए उच्च सुरक्षा व्यवस्था के दावों के बीच अगर सरेआम सड़क पर कोई किसी पर तेजाब फेंक देता है तो यह किसकी नाकामी है? तेजाबी हमले की शिकार महिलाओं की जिंदगी के बारे में सोचना जब किसी अन्य संवेदनशील व्यक्ति के लिए भी तकलीफदेह होता है, तो पीड़िता के दुख और उनकी चुनौतियों के बारे में बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। हर साल सैकड़ों महिलाओं पर तेजाबी मानसिकता का हमला होता है, मगर अब तक ऐसी कोई ठोस व्यवस्था जमीन पर नहीं उतर सकी है, जिससे ऐसे अपराधों पर लगाम लगाई जा सके।