कुछ बच्चे संदेश भेजने का खेल खेल रहे थे। एक लड़का खोखले कुंदे के एक सिरे से बोलता और दूसरे सिरे पर खड़े उसके दोस्त वह संदेश सुनते। फ्रांसीसी डाक्टर रेने लेनेक ने बचपन के अपने इसी खेल से स्टेथेस्कोप का आविष्कार करने की प्रेरणा पाई थी। अधिकांश लोगों को लगता है कि उनके पास रचनात्मक शक्ति नहीं है या बहुत सीमित है। यहां तक कि रचनात्मक क्षेत्रों में काम करने वाले कई लोग भी इसमें शामिल हैं।
यह सच है कि कुछ व्यक्ति दूसरों की तुलना में अधिक रचनात्मक होते हैं। सौभाग्य से, रचनात्मकता को किसी भी उम्र या अनुभव के स्तर पर हासिल किया जा सकता है। नवाचार कोई दिव्य ईश्वरीय उपहार नहीं है; वास्तव में यह नवोन्मेषी और रोमांचक तरीकों से ज्ञान का कुशल अनुप्रयोग भर है।
रचनात्मक लोगों में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की ऊर्जा बहुत अधिक होती है। वे भावनाओं और संवेदनाओं को गहराई से महसूस करते हैं। मनोवैज्ञानिक लंबे समय से यह मानते आ रहे हैं कि बुद्धि रचनात्मकता में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन सिर्फ बुद्धिमान होने से काम नहीं चलेगा। ऐसे लोगों को चीजों को नए सिरे से देखने में सक्षम भी होना चाहिए।
आमतौर पर यह भी माना जाता है कि रचनात्मकता अक्सर कला से जुड़ी होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है रचनात्मकता कलात्मक होने के बारे में है। न ही इसका यह अर्थ है कि अगर आप कपड़े डिजाइन नहीं करते, फिल्म नहीं बनाते, केनवास नहीं रंगते या किसी उपन्यास की रचना नहीं करते, तो आप रचनात्मक नहीं हैं। हर कोई स्वाभाविक रूप से रचनात्मक है। हर प्राणी जन्मजात रचनात्मक होता है। हमारे पास यह शक्ति जन्म के साथ ही मिल गई थी।
रचनात्मक होने का मतलब है कि आपने कुछ ऐसा बनाया, जो पहले नहीं था या जो चीजें वहां थीं उन्हें और भी बेहतर बनाया। हो सकता है कि जब आपने समय सीमा से पहले गलती से अपनी प्रोजेक्ट फाइल को मिटा दिया हो और तुरंत ही चामत्कारिक रूप से एक नए दस्तावेज को फिर से तैयार करके जवाब दिया हो, जो स्पष्ट रूप से और भी बेहतर था। ये सभी परिणाम किसी न किसी स्तर की रचनात्मकता का परिणाम थे।
रचनात्मक प्रक्रिया पुराने विचारों के बीच नए संबंध बनाने या अवधारणाओं के बीच संबंधों को पहचानने की क्रिया है। रचनात्मक सोच खाली स्लेट से कुछ नया उत्पन्न करने के बारे में नहीं है, बल्कि जो पहले से मौजूद है उसे लेने और उन टुकड़ों को इस तरह से संयोजित करने के बारे में है, जो पहले नहीं किया गया।
मनोविज्ञान के प्रोफेसर बारबरा केर के अनुसार, ‘रचनात्मकता में लगभग बाईस प्रतिशत भिन्नता जीन के प्रभाव के कारण होती है।’ यह निष्कर्ष जुड़वां बच्चों के बीच रचनात्मक सोच में अंतर का अध्ययन करके निकाली गई थी। हालांकि, लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी स्तर के रचनात्मक कौशल के साथ पैदा होता है और हमारी अधिकांश रचनात्मक सोच, क्षमताएं प्रशिक्षित होती हैं।
दूसरों के या पुराने विचारों में कुछ जोड़-तोड़, कुछ हेर-फेर कर ही हर नया विचार जन्म लेता है। अगर आप संयोग से कुछ सोच डालते हैं या जरा सोच-समझ कर कुछ नया कर डालें तो इसे आपकी रचनात्मकता या सृजनात्मकता का परिणाम माना जाएगा। सृजन का मतलब है, कुछ नया सोचना और लीक से हट कर कुछ करना। रचनात्मक लोग प्रेरणा की प्रतीक्षा में समय नहीं गंवाते।
क्लेरेंस बर्ड्सआई ने कनाडा की यात्रा के दौरान बर्फ बने पानी में मछलियों को जमे देखा। बर्फ पिघलने पर भी वे खाने योग्य बनी रहीं। कुदरत के इस करिश्मे में उन्हें कुछ विशिष्टता नजर आई और शुरू हुआ खाद्य पदार्थों को बर्फ के जरिए सुरक्षित रखने का नया उद्योग। इसी तरह कभी किसी ने अनुभव किया होगा कि जब कलम के साथ स्याही की जरूरत पड़ती है तो कलम को स्याही में बार-बार डुबो कर क्यों लिखा जाए? क्यों न दोनों को मिला दिया जाए? नतीजतन फाउंटेन पेन का आविष्कार हुआ।
रचनात्मकता का सबसे अहम हिस्सा होता है वह ‘यूरेका पल’, जब हम अपनी रचनात्मक या सृजनात्मक सोच की मंजिल तक पहुंच जाते हैं। दिमाग में पकते-पकते किसी काम या समस्या पर विचार एकाएक समाधान पा ले, तो वह ‘पल’ हासिल हो जाता है। चार्ल्स डार्विन अपने विकासवाद सिद्धांत के बारे में जानकारी इकट्ठी करते रहे। एक दिन जब वे अपनी गाड़ी में बैठे कहीं जा रहे थे, तो सारी जानकारी सूत्रबद्ध होती दिखाई दी।
डार्विन ने लिखा है, ‘मुझे वह स्थान आज भी याद है, जहां पलक झपकते सारा समाधान अपने आप मेरे सामने आ गया और मेरी प्रसन्नता का पारावार नहीं रहा था।’ बोध की यह अवस्था रचनात्मक प्रक्रिया का सबसे उत्तेजनापूर्ण और आनंदपूर्ण क्षण होता है। ऐसे पल हर किसी के जीवन में आते हैं, पर वही उन्हें रचनात्मक परिणति दे पाते हैं, जो संवेदनशील होते हैं।
