दीप्ति अंगरीश

प्रकृति हमें सहजीवन और समरसता का संदेश देती है। नए उमंग के साथ आसमान को छूने का हौसला देती है। पक्षियों और मनुष्यों की दोस्ती पुरानी और पक्की वाली है। कुछ समय पीछे टटोलिए, वहां आपको प्रेम, तड़प और विरह भावों का तालुक्क पक्षियों से जुड़ा मिलेगा। युवाओं को सिनेमाई गीत और संवाद बेहद भाते हैं। वे उसके हिसाब से आचरण भी करते हैं। जब प्रेम पींगे भरता है और मिलन के लिए बेचैन होता है, तो यह मीठे मनोभाव किसी फिल्म में चोंच में चोंच डालते कबूतरों के जोड़े में दिखते हैं। आज भी प्रेमी जोड़ों को ‘लव बर्ड्स’ ही कहा जाता है। वैसे कुछ गलत भी नहीं है। प्रेम में डूबा व्यक्ति पक्षियों की तरह जमाने से बेपरवाह और बेरोकटोक विचरण करता है।

पारंपरिक धारणाओं से इतर देखें तो हमेशा ही प्रेम का मंजिल विवाह नहीं होता है। सांसों और स्मृतियों से जुड़े रहना भी प्रेम है। कुछ की मंजिल सिर्फ विभिन्न अनुभवों से दो-चार होना है। कुछ प्रेम में हरियाली तो कुछ नयापन तलाशते हैं। विरले ही होते हैं, जो प्रेम को सांसों में समा लें। प्रेम में मनुष्य की तरह विविध सोच रखते हैं पक्षी।

वर्तमान दौर के प्रेम में मौजूद घनिष्ठता की बानगी हम आए दिन देखते, पढ़ते और सुनते हैं। मनुष्यों की तरह पक्षी भी प्रेम करते हैं और इसमें वे स्वतंत्र जीवन जीने में संकोच नहीं करते। विचित्र है कि लोग तोता-मैना, कबूतर आदि की चोंच से चोंच मिलते ही प्यार से उसका प्रतीकीकरण करना शुरू कर कर देते हैं। पक्षी भी जीव ही होते हैं और पुराने रिश्तों के टूटने के बाद नया रिश्ता, नया संसार बसा लेते हैं। यों पक्षियों और उनकी विभिन्न प्रजातियों पर अध्ययन करने वालों के मुताबिक नब्बे फीसद पक्षी अपने साथी के प्रति वफादार होते हैं। इनकी रिश्तों में वफदारी काबिले-तारीफ है। विज्ञान की भाषा में इन्हें ‘मोनोगेमस’ यानी एक साथी वाले या ‘एकपत्नीक’ कहा जाता है। लेकिन सभी पक्षी ऐसा नहीं होते। कुछ अलग भी होते हैं। ब्लूटिट पक्षियों में देखा जा सकता है कि उनमें मादाएं संबंधों के मामले में काफी साहसी और स्वतंत्र प्रकृति की होती हैं।

सच यह है कि जिन पक्षियों को हम महज एक निस्पंद जीव की तरह देखते हैं, उनके भीतर भी संवेदनाओं का एक पूरा आकाश होता है। कई पक्षी प्यार करते हैं तो अपने साथी को दिल में बसाए रखते हैं। इसका एक उदाहरण है रॉकहॉपर पेंग्विन। कह सकते हैं वफादारी वाला प्यार। इसके अलावा, हम सबने सुना होगा ‘हंसों का जोड़ा’। पागल प्रेमियों को यों ही नहीं इन प्रतीकों से सजा कर देखा जाता है। हंसों में प्रेम का खास गुण ही मनुष्यों के लिए अटूट प्रेम का उदाहरण बनता है। नर-मादा हंसों को कभी करीब से देखिए। उनमें बेइंतहा प्यार दिखेगा। दोनों मिल कर घोंसला बनाते हैं। नर हंस घोंसले की रक्षा करता है। मादा अपने प्यार के अंश रूपी अंडों की देखभाल करती है। उन्हें करीब से देखने पर नए तथ्य भी मिले। प्यार तो दोनों बेइंतहा करते हैं, फिर भी संबंधों के मामले में हंस स्वतंत्र होते हैं।

जहां तक तोते का सवाल है, ज्यादातर तोते सुरक्षित रहने के लिए बड़े झुंडों में रहते हैं। झुंड के अंदर ही तोते जीवनपर्यंत चलने वाले एक ही साथी से संबंध स्थापित करते हैं। लेकिन इसी झुंड के भीतर किसी के साथ एक प्रेम संबंध चलना भी आम बात है। नर सारस कई सालों तक नियमित रूप से अपने पारंपरिक घोंसले की जगह पर पहुंच जाते हैं। वहां मादाओं से कई दिन पहले पहुंचने के कारण वे ही घोंसले को तैयार करने का काम करते हैं। घोंसला तैयार होने के बाद मादा पहुंचती है। हंस बतख कुल का पक्षी है और सभी बतखों को आमतौर पर एक साथी वाला माना जाता है। लेकिन इस कुल के कई ऐसे पक्षी हैं जो हंस की तरह मिल कर घोंसला नहीं बनाते। यह केवल मादा का काम होता है। जब मादा बच्चे देती है तो नर भी उनकी देखभाल करता है, भले ही वे उसके बच्चे न हों।

अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था- ‘मधुमक्खियां मानव जीवन के लिए इतनी आवश्यक हैं कि अगर किसी कारण से धरती से मधुमक्खियों का जीवन समाप्त होता है तो चार वर्ष के भीतर ही मानव जीवन भी समाप्त हो जाएगा।’ उनके कथन के वर्षों बाद मोबाइल टावरों से निकली इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन यानी विद्युत चुंबकीय विकिरण न केवल मानव जीवन, बल्कि संपूर्ण प्रकृति पर व्यापक दुष्प्रभाव डाल रहा है। एक शोध में पाया गया है कि रेडिएशन या विकिरण के चलते कौवों की संख्या में तीस फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। दूसरे, अन्य पक्षियों की आवाज में भी दिक्कतें पैदा हो रही हैं। वर्तमान समय में दुनिया में पक्षियों की करीब 9,900 ज्ञात प्रजातियां हैं और अब तक पक्षियों की एक सौ अट्ठाईस प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के मुताबिक एशिया महाद्वीप में पाई जाने वाली पक्षियों की दो हजार सात सौ प्रजातियों में से तीन सौ तेईस पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। इंसान इतना सक्षम हो गया है कि प्रकृति को चुनौती देने के लिए तैयार है। तब उसको यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि प्रकृति जब पलटवार करती है तो मानवता को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।