गुजरात कैडर के IPS सफीन हसन की गिनती देश के सबसे युवा IPS के तौर पर होती है। सफीन ने कम उम्र में यह सफलता जरूर हासिल की थी लेकिन इसके लिए उनका संघर्ष उम्रदराज लोगों सरीखा रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, 10वीं कक्षा तक तो स्कूल की फीस भऱने के लिए उनकी मां को दूसरों के घरों के झूठे बर्तन साफ करने पड़ते थी। जैसे जैसे स्कूल की फीस बढ़ती गई सफीन हसन की मां के कामों का बोझ भी उसी अनुपात में बढ़ता गया। कभी वह रेस्टोरेंट में काम करतीं तो कभी शादियों में रोटियां बेलने का काम पकड़ लेती ताकी उनका बेटा बिना रुके अपनी मंजिल तक पहुंच सके।

कहते हैं जो चुनौतियों के साथ दो-दो हाथ करता है उसे परेशानियों से निकलने का रास्ता भी मिल जाता है। सफीन हसन का बचपन भी ऐसा ही रहा, जब परेशानियों के बादल पूरी तरह से घेरने लगते, तब-तब कोई न कोई मदद का हाथ जरूर  सामने आ जाता। कई ऐसे मौके आए जब सफीन की पढ़ाई के लिए सोसाइटी के संभ्रांत लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। आज वो उन सभी शुक्रिया अदा करना वहीं भूलते हैं।

वह बताते हैं कि मेरी प्राथमिक पढ़ाई उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले के अंतर्गत आने वाले कणोदर नाम के छोटे से गांव में हुई, इसके बाद प्राइवेट स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। प्राइवेट स्कूल में जब पहुंचे तो प्रिंसिपल ने 80 हजार रुपये माफ कर दिए थे। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एनआईटी में दाखिला लिया।

सफीन ने बताया कि इंजीनियरिंग के बाद दिल्ली जाने का सोचा तो पैसों की तंगी आड़े आने लगी। उस वक्त गुजरात के पोलरा परिवार ने सफीन की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई और दो साल तक उनके आने जाने और रहने-खाने खर्चा उठाया, कोचिंग की फीस भी वही लोग भरा करते थे।

एक इंटरव्यू के दौरान सफीन अपने बचपन को याद करते हुए भावुक हो गए थे। वह बताते हैं कि माता और पिता दोनों एक हीरा यूनिट में काम किया करते थे। लेकिन कुछ दिनों बाद यूनिट बंद हो गई और दोनों बेरोजगार हो गए। वह बताते हैं कि घर चलाना मां-पिता के लिए बेहद मुश्किल होता था, कई रातें तो बिना खाए ही सोना पड़ा था। पिता ने इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू किया, वह जाड़ों के दिनों में चाय और अंडे की दुकान लगाया करते थे, मां शादियों में रोटी बेलने का काम किया करती थी।

सफीन ने बताया कि एग्जाम वाले दिन ही उनका जोरदार एक्सीडेंट हो गया था। जिस हाथ से लिखता था उसको छोड़कर पूरा शरीर दर्द से कांप रहा था लेकिन दर्द की गोली खाई और एग्जाम देने चला गया। एग्जाम के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।

सफीन ने बताया जब वह स्कूल में थे तो एक अधिकारी का दौरा हुआ था। उस अधिकारी का रुआब देकर वह बहुत प्रभावित हुए और अपनी मौसी से पूछा कौन है, उन्होंने बच्चों तो समझाने के लिहाज से कह दिया कि यह जिले के राजा होते हैं। तो सफीन ने पूछा कि राजा कैसे बनते हैं, मौसी ने बताया कि बहुत पढ़ना पड़ता है जब एग्जाम पास कर पाते हैं। बस यहीं से सफीन ने अधिकारी बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था।