इटावा के मुर्दाघर के एक रेफ्रिजरेटर में एक शव तीन साल से रखा हुआ है। यह एक रहस्य बना हुआ है और इस मामले को स्थानीय पुलिस पिछले तीन वर्षों से नहीं सुलझा पाई है। यह एक महिला का कंकाल है। एक परिवार दावा कर रहा है कि यह उनकी लापता बेटी का शव है लेकिन वह इसे साबित नहीं कर पाया है और अभी भी इंतजार कर रहा है।
26 सितंबर 2020 को ही इटावा पुलिस ने एक महिला के क्षत-विक्षत अवशेष बरामद किए थे। इसके तुरंत बाद इटावा के एक कस्बे जसवन्तनगर के एक गांव के एक परिवार ने शव की पहचान अपनी 22 वर्षीय बेटी रीता के रूप में की, जो 19 सितंबर, 2020 को लापता हो गई थी। परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि उन्होंने शव पर मिले कपड़ों की पहचान की है। उन्होंने दावा किया कि शव की कलाई पर मिला कलावा, सलवार-कुर्ता, चांदी की अंगूठियां, लाल कंगन और शरीर पर मिले पीले क्लच से साबित होता है कि यह रीता (परिवार की बेटी) का शव था।
वहीं पुलिस को संदेह है कि उन्हें चकमा देने के लिए रीता के कपड़ों के साथ एक और शव लपेटा गया होगा और इसी कारण उन्होंने शव को परिवार को सौंपने से इनकार कर दिया। चूंकि हत्या के संभावित मामले में क्षत-विक्षत मानव अवशेष ही एकमात्र सुराग थे, इसलिए पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव सावधानी बरती कि ‘सबूत’ दूषित न हों और अच्छी तरह से संरक्षित हों।
दूसरी ओर अपने दावे में दम दिखाने के लिए रीता की मां भगवान देवी ने भी इटावा पुलिस के समक्ष एक आवेदन देकर अपने पड़ोसी रामकुमार, उसकी पत्नी मिथलेश, उनके बेटे मोहित और एक सहयोगी सत्येन्द्र कुमार पर रीता की हत्या करने का आरोप लगाया। अपनी शिकायत में,\ भगवान देवी ने आरोप लगाया कि राम कुमार के रीता के साथ अवैध संबंध थे और जब मिथलेश को इसके बारे में पता चला, तो सभी आरोपियों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी।
क्षत-विक्षत शव और एक परिवार के दावों के बीच फंसी पुलिस ने डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का फैसला किया। 2022 की शुरुआत में क्षत-विक्षत शरीर और बहगवान देवी और उनके परिवार के सदस्यों के डीएनए नमूने यह सत्यापित करने के लिए हैदराबाद स्थित फोरेंसिक लैब में भेजे कि क्या दोनों एक परिवार हैं। 26 मार्च 2022 की अपनी रिपोर्ट में लैब ने कहा कि कोई फैसला नहीं हो पाया क्योंकि शव बेकार हो चुका था।
इसके बाद 18 अगस्त 2022 को रिपीट सैंपल भेजा गया। 10 जुलाई 2023 की लैब रिपोर्ट ने पुलिस को चकित कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि लाश किसी भी तरह से भगवान देवी के परिवार से जुड़ी नहीं थी। डीएनए रिपोर्ट ने अब पुलिस के काम को बढ़ा दिया है।
अब पुलिस को सबसे पहले मृतक की पहचान करना और उन परिस्थितियों को स्थापित करना है जिनके कारण व्यक्ति की मृत्यु हुई और दूसरा काम रीता का पता लगाना है। इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजय कुमार वर्मा ने कहा कि अब जब डीएनए प्रोफाइलिंग ने भगवान देवी के दावों को खारिज कर दिया है, तो पुलिस रेफ्रिजरेटर में पड़े लावारिस शव के निपटान पर कानूनी राय लेगी।
उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ”हमने रीता का पता लगाने के लिए जांच भी तेज कर दी है।” भगवान देवी के बेटे राजीव ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट ने हम सभी को हैरान कर दिया है। हम नहीं जानते कि यह कैसे कहता है कि शव रीता का नहीं है। उन्होंने पूछा कि अगर पुलिस की मानें तो रीता का क्या हुआ?