Serial Killer Chandrakant Jha Arrested: कुख्यात सीरियल किलर चंद्रकांत झा, जिसे ‘दिल्ली का कसाई’ भी कहा जाता है, को पुलिस ने महीनों की तलाशी के बाद शनिवार को पकड़ लिया। 57 साल का ये अपराधी अक्टूबर 2023 में पैरोल पर छूटने के बाद एक साल से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचता रहा।

एडिश्नल कमिश्रर संजय कुमार सैन ने बताया कि एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, दिल्ली पुलिस ने उसे 17 जनवरी को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से बिहार भागने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार किया। हाल ही में चंद्रकांत को उसके नाम पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री – “इंडियन प्रीडेटर: द बुचर ऑफ़ दिल्ली” के कारण लाइमलाइट मिली थी।

कौन है ‘दिल्ली का कसाई’?

चंद्रकांत झा पर साल 1998 से 2007 तक पश्चिमी दिल्ली में 18 लोगों की हत्या और उनके शवों के टुकड़े-टुकड़े करने के आरोप हैं। इस कारण उसे ‘दिल्ली का कसाई’ कहा जाने लगा। 1967 में जन्मे चंद्रकांत 1990 में काम की तलाश में बिहार से दिल्ली चला आया था। वो आज़ादपुर मंडी के पास रहता था और आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई करने के बाद से काम करने लगा था। शुरुआत में वो कई कम वेतन वाली नौकरियां करता था। उसकी दो बार शादी हुई और उसकी पांच बेटियां भी हैं।

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चंद्रकांत झा पहले दूसरे प्रवासियों से दोस्ती करता था, उन्हें खाना, घर और काम मुहैया कराता था और फिर उनका ही कत्ल करता था। दरअसल, उनकी ओर से की गई कोई भी छोटी-मोटी गलती ‘गलत’ मानी जाती थी, जिसके लिए झा उन्हें ‘कठोर’ सज़ा देना सही समझते थे।

साल 1998 में की थी पहली हत्या

चंद्रकांत झा की पहली दर्ज हत्या 1998 में हुई थी, जब उसने दिल्ली के आदर्श नगर में मंगल उर्फ ​​औरंगजेब की हत्या की थी और उसके शव के टुकड़ों को दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बिखेर दिया था।

इस मामले में उसे 1998 में गिरफ्तार किया गया और फिर 2002 में रिहा कर दिया गया, जिसके बाद से उसने कई जघन्य हत्याएं कीं। जून 2003 में, उसने अपने सहयोगी शेखर की हैदरपुर में ये सोचकर हत्या कर दी कि वो शराबी और झूठा है। फिर उसी साल नवंबर में उसने बिहार के एक प्रवासी उमेश को “उसे धोखा देने” के लिए मार डाला और एक साहसिक कदम उठाते हुए उसके शव को तिहाड़ जेल के पास फेंक दिया।

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2005 में, उसने मारिजुआना पीने के लिए गुड्डू नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी। उसने 2006 में अमित नामक एक व्यक्ति की हत्या कथित तौर पर महिलाओं के साथ संबंध बनाने के आरोप में की और उसके शव को भी तिहाड़ जेल के बाहर छोड़ दिया।

अक्टूबर 2006 में, महिलाओं के साथ संबंध बनाने के आरोपी अमित का भी यही हश्र हुआ, उसका शव तिहाड़ जेल के बाहर छोड़ दिया गया। 2007 में, दो शव, एक व्यक्ति जिसका नाम उपेंद्र था और दूसरा जिसका नाम दिलीप था, तिहाड़ के गेट नंबर 1 के बाहर महीनों के अंतराल पर मिले। उनमें से एक की हत्या अवैध प्रेम संबंध के कारण हुई थी, जबकि दूसरे की हत्या मांसाहारी भोजन खाने के कारण हुई थी।

2023 में 90 दिनों के लिए दी गई थी पैरोल

2013 में, झा को आखिरकार तीन हत्याओं का दोषी ठहराया गया और दो मौत की सजा मिली, जिसे बाद में आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया गया। हालांकि, उसे 2023 में 90 दिनों के लिए पैरोल दी गई, जिसके दौरान वो भाग गया।

एडिश्नल कमिश्नर सैन ने बताया कि कई महीनों तक एक टीम ने दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश में झा के परिवार, दोस्तों और उन लोगों से पूछताछ की, जिनके साथ झा पहले काम कर चुका था। झा की गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम भी रखा गया था।