Who Is Auto Raja of Bangalore: कर्नाटक का बेंगलुरु शहर..जिसे आईटी कैपिटल भी कहा जाता है। इस शहर में करीब एक करोड़ की आबादी है। पूरे देश में कई लोगों के सपने इस शहर में आकर पूरे होते हैं हैं लेकिन यहां का एक बुरा और स्याह पक्ष- बेसहारा बुजुर्ग और बच्चे हैं। हालांकि, एक शख्स है जो इन सब के लिए बीते 25 सालों में मसीहा बनकर उभरा है और उसका नाम ऑटो राजा है।
कौन हैं ऑटो राजा?
आज भले ही लोग उसे ऑटो राजा के रूप में जानते हैं, लेकिन जब जन्म हुआ तो माता-पिता ने नाम थॉमस राजा रखा। आज बेंगलुरु शहर में ऑटो राजा 800 से अधिक बेघर लोगों का सहारा हैं। ऑटो राजा शहर के बाहरी इलाके में स्थित डोड्डागुब्बी गांव में न्यू आर्क मिशन के तहत लोगों को रहने-खाने और इलाज की सारी सुविधाएं देते हैं। इसके अलावा, ऑटो राजा बेसहारा बच्चों को पढ़ाई की सुविधा भी मुहैया कराते हैं।
कभी जुर्म के कीचड़ में सने थे ऑटो राजा
ऑटो राजा की शुरुआती जिंदगी सही नहीं रही। बड़े हुए तो चोरी जैसी वारदातों में शामिल हो गए। 16 साल की उम्र में राजा के पिता को पता चला कि वह एक चोर है तो उन्हें घर से बेदखल कर दिया गया। फिर 18 की उम्र में ऑटो राजा को किशोर सुधार गृह भेज दिया गया था। थोड़े सालों बाद किशोर गृह से लौटे तो ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया।
ऑटो चलाने के दौरान बदला नजरिया
ऑटो-रिक्शा चलाने के दौरान राजा को सड़कों पर बेसहारा लोग दिखे। सबसे पहले उन्होंने एक बुजुर्ग महिला को सहारा दिया। राजा ने महिला के बाल कटवाए और उसके घावों को साफ किया। बस यही वह पल था, जहां ऑटो राजा का जन्म हुआ। अब ऑटो राजा 800 बेसहारा लोगों के मसीहा हैं और वह अपने शेल्टर होम न्यू आर्क मिशन के जरिए फंड भी इकट्ठा करते हैं।
डिजिटल भिखारी होने का दावा, नर्सिंग कॉलेज का सपना
पहला डिजिटल भिखारी होने का दावा करने वाले ऑटो राजा ने कहा कि वह उन बेसहारा बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए एक नर्सिंग कॉलेज बनाना चाहते हैं, जिन्हें उन्होंने बचाया था ताकि वे अपने केंद्र में बेसहारा लोगों का इलाज और मदद करना जारी रख सकें। ऑटो राजा की जनता से अपील है कि हर दिन उन्हें कम से कम 1 रुपये का दान दिया जाए, ताकि सभी बेसहारा लोगों की मदद हो सके। ऑटो राजा ने कहा, अगर सरकार उनका समर्थन करती है तो आज भी मैं बेंगलुरु को भिखारी मुक्त शहर बनाने के लिए तैयार हूं।