अफगानिस्तान पर तालिबान को कब्जा किए हुए दस दिन से भी ज्यादा हो चुका है। एक तरफ आम अफगानी डर के मारे देश छोड़ कर भाग रहे हैं, तो दूसरी तरफ तालिबान अपनी सरकार की तैयारियां कर रहा हैं, लेकिन इन सब के बीच तालिबान का सुप्रीम लीडर अखुंदजादा गायब है।
गायब इसलिए कि वो अभी तक इस कब्जे और सरकार की रणनीति के बीच में कहीं नजर नहीं आ रहा है। अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद के दिनों में, तालिबान के नेता, कमांडर और सैंकड़ों लड़ाके काबुल पहुंच चुके हैं, लेकिन इन सब नामों में सुप्रीम लीडर अखुंदजादा का नाम शामिल नहीं है।
अब डर है या कुछ और ये तो साफ-साफ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उसकी अनुपस्थिति कई थ्योरी को जन्म दे रही है। हालांकि जब अखुंदजादा के गायब रहने की बात उठने लगी तो तालिबान की ओर से कहा गया कि हिबतुल्ला अखुंदजादा अफगानिस्तान में है और जल्द ही सबके सामने आएगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा- “वह कंधार में मौजूद हैं और वो शुरू से ही वहां रह रहे हैं।”
तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तूर मंसूर के मारे जाने के बाद अखुंदजादा को 25 मई 2016 को तालिबान का सर्वोच्च नेता नियुक्त किया गया था। विद्रोह की बागडोर संभालने के बाद, अखुंदजादा ने तालिबान को तब संभाला जब सत्ता छिनने के बाद से वो टूट की कगार पर था। अखुंदज़ादा की दिन-प्रतिदिन की भूमिका के बारे में अभी भी बहुत कम जानकारी है, उसकी सार्वजनिक प्रोफाइल काफी हद तक इस्लामी छुट्टियों के दौरान वार्षिक संदेशों को जारी करने तक सीमित है। तालिबान द्वारा जारी की गई एक तस्वीर के अलावा, वो कभी सार्वजनिक रूप से पेश नहीं हुआ। उसका ठिकाना काफी हद तक अज्ञात रहा है।
अगस्त के मध्य में काबुल पर कब्जा करने के बाद से तालिबान अब तक अखुंदजादा की गतिविधियों के बारे में चुप रहा था। अखुंदजादा के ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने इस सप्ताह की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा, “अल्लाह की इच्छा से आप उन्हें जल्द ही देखेंगे।”
तालिबान का अपने शीर्ष नेता की प्रोफाइल को छुपाए रखने का एक लंबा इतिहास रहा है। तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर भी अपनी पहचान और जगह छुपाने की कोशिश करते रहता था। 1990 के दशक में जब तालिबान सत्ता में था तब भी शायद ही मुल्ला उमर ने कभी काबुल की यात्रा की हो।
हालांकि उमर काफी हद तक सत्ता से दूर कंधार में बैठा रहा, आने वाले प्रतिनिधिमंडलों से मिलने तक भी अनिच्छुक रहा, लेकिन सत्ता में उसका शब्द ही शासन था। इसके बाद जो भी इस कुर्सी पर बैठा इसी तरह से अपने जीवन को अपनाए रखा। थोड़ा डर अमेरिकी ड्रोनों का भी था जो इन्हें चुपचाप आसमान में घुमते हुए खोजते रहता था।
अखुंदजादा के वर्षों तक गायब रहने के बाद उसके स्वास्थ्य खराब और मौत की खबरें भी कई बार सामने आई। कभी उसे कोरोना होने की खबर आई तो कभी बमबारी में मारे जाने की।
माना जा रहा है कि जबतक अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में हैं, तालिबान अपने शीर्ष लीडर को सबके सामने लाने का खतरा नहीं उठाएगा और इसीलिए अखुंदजादा, जीत के बाद भी सामने नहीं आया है।