बेंगलुरु में 29 साल के पुलिसकर्मी को ठगों ने ‘यूट्यूब लाइक एंड सब्सक्राइब घोटाले’ के जाल में फंसाकर 3.3 लाख की धोखाधड़ी की। उन्होंने कथित तौर पर पीड़ित लोकप्पा उत्तंगी को एक प्राइवेट कंपनी में निवेश पर पर्याप्त रिटर्न का वादा किया था। जालसाजों ने कथित तौर पर पाड़ित को YouTube वीडियो को लाइक करने, रिव्यू करने और सब्सक्राइब करने को कहा। शुरुआत में पीड़ित ने 1,000 से लेकर 3,000 रुपये उन्हें भेजे जिसके बदले उसे 30 प्रतिशत का रिटर्न मिला। पुलिस ने कहा कि पीड़ित को लगा कि इससे उसे कम समय में अच्छा मुनाफा मिलेगा इसलिए उसने 1 से 9 अगस्त के बीच 3.3 लाख रुपये का निवेश कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है तो उसने 29 अगस्त को पुलिस को इसकी सूचना दी। उसकी शिकायत के अनुसार, 1 अगस्त को उत्तंगी को एक शख्स का मैसेज मिला। उसने अपना परिचय अंजलि राठौड़ के रूप में दिया। उसने उत्तंगी को एक टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए कहा। उसने पीड़ित को अच्छे रिटर्न का वादा कर एक प्राइवेट कंपनी में निवेश करने को कहा। साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता के बावजूद उत्तांगी ने मैसेज का जवाब देने का फैसला किया।
पुलिस के अनुसार आरोपियों ने पीड़ित को एक लिंक भेजा। पीड़ित ने लिंक के लिए तुरंत उसी दिन 1,000 रुपये भेजे। जिसके बाद रिटर्न में उसे 300 रुपये का फायदा हुआ। अगले दिन उसने 3,000 और 1,000 रुपये भेजे और रिटर्न में 900 रुपये और 300 रुपये का फायदा हुआ। इस तरह आखिरकार पीड़ित उत्तंगी ठगों के जाल में फंस गया। उसने अपने दोस्तों और पत्नी सहित कई बैंक खातों के जरिए लगभग 3.3 लाख रुपये निवेश किए। बाद में उसे एहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हुई है।
क्या है ‘लाइक एंड सब्सक्राइब’ घोटाला?
साइबर अपराधियों ने वर्क फ्रॉम होम और पार्ट टाइम जॉब के वादे के साथ अनजान व्यक्तियों को फंसाने के लिए तेजी से व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर रुख किया है। इन घोटालों में मुख्य रूप से पीड़ितों को YouTube वीडियो को लाइक और सब्सक्राइब करने के लिए कहा जाता है। हाल की रिपोर्ट्स में ऐसे कई मामलों को उजागर किया गया है जहां इन YouTube नौकरी घोटालों के जरिए लोगों ने रकम ठगी जाती है।
सबसे पहले किसी शख्स के पास व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर मैसेज आता है। जिसमें स्कैमर्स हर रोज 5,000 रुपये की कमाई का वादा करते हैं। वे लोगों को पार्ट टाइम जॉब का ऑफर देते हैं। एक बार जब शख्स प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है तो उसे टेलीग्राम चैनल में जोड़ दिया जाता है। जिसकी देखरेख तथाकथित ‘कार्य प्रबंधक’ करता है जो उन्हें उनका ‘काम’ सौंपता है।
इसके बाद पीड़ितों को आदेश दिया जाता है कि वे यूट्यूब के वीडियो को’लाइक’ करें और फिर अपने काम का स्क्रीनशॉट ‘मैनेजर’ को भेजें। जैसे-जैसे पीड़ित काम करने लगते हैं उनकी कमाई कथित तौर पर घोटालेबाज के जॉब ऐप पर दिखने लगती है।
दरअसल, ये कमाई केवल दिखावे के लिए होती है। स्कैमर्स पीड़ितों को कोई पैसा नहीं भेजते हैं। इसके बदले साइबर अपराधी यह मांग करते हैं कि पीड़ित अपनी कथित कमाई पाने के लिए कम से कम 5,000 रुपये का ‘निवेश’ करे।
एक बार पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद घोटालेबाज गायब हो जाते हैं और पीड़ितों को व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर ब्लॉक कर देते हैं। घोटाले के बाद पीड़ित अपने कथित मैनेजर या एचआर से बात नहीं कर पाता है।
कुछ मामलों में ठग पीड़ितों से उनकी कमाई का पैसा ट्रांसफर करने के बहाने उनसे बैंक खाते की डिटेल भी मांग लेते हैं। इसके बाद वे साइबर ठगी के जरिए पीड़ितों के खाते से पैसा निकाल लेते हैं।
