उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद कई सालों तक शांति रही, लेकिन धीरे-धीरे बदमाशों ने एक बार फिर पैर फैलाने शुरू कर दिए। देखते ही देखते उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर्स ने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन को चुनौती देनी शुरू कर दी थी। एक ऐसे ही कुख्यात गैंगस्टर का नाम था- रमेश कालिया। रमेश कालिया जुर्म की दुनिया का नया नाम था, लेकिन उसने पुलिस प्रशासन को ही चुनौती देना शुरू कर दी।

रमेश कालिया पर 4 सितंबर 2004 को समाजवादी पार्टी के एमएलसी और बाहुबली अजीत सिंह की हत्या का भी आरोप लगा था, लेकिन पुलिस के पास इसके खिलाफ कोई पक्के सबूत नहीं थे। पुलिस ने रमेश कालिया को पकड़ने का प्लान ही बनाया था कि उसे एक और सबूत मिल गया था। ये सबूत था- बिल्डर इम्तियाज। इम्तियाज ने पुलिस को बताया था कि रमेश कालिया ने उससे ‘प्रोटेक्शन मनी’ मांगी है।

लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत इम्तियाज़ को मिलने के लिए बुलाया। इम्तियाज ने नवनीत सिकेरा को पूरा वाकया बताया। नवनीत सिकेरा ने इम्तियाज से रमेश कालिया को फोन करने के लिए कहा था। क्योंकि रमेश कालिया बेहद खतरनाक गैंगस्टर था तो इम्तियाज भी फोन करने में काफी डर रहा था, लेकिन नवनीत सिकेरा के कहने पर इम्तियाज़ ने फोन किया।

20 मिनट तक चली थी मुठभेड़: इम्तियाज़ ने रमेश कालिया को बताया कि उसके पास पूरे पैसे तो नहीं हो पाए हैं, लेकिन कुछ पैसे हैं जो वो उसे देना चाहता है। रमेश कालिया ये सुनकर इम्तियाज़ को मिलने के लिए बुलाता है। सब चीजें तय हो जाती हैं और यूपी पुलिस भी इसके लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है। इम्तियाज को रमेश कालिया अपने घर पर बुलाता है। इम्तियाज काफी डर जाता है क्योंकि उसके पास पूरे पैसे भी नहीं थे और दूसरी रमेश कालिया पहले ही उसे जान से मारने की धमकी दे चुका होता है, लेकिन नवनीत सिकेरा उसे विश्वास दिलाते हैं कि कुछ नहीं होगा।

12 फरवरी 2005 को इम्तियाज अपनी कार में बैठकर रमेश कालिया के घर की तरफ रवाना होते हैं। उनके पीछे पुलिस की गाड़ियां भी होती हैं, लेकिन इस बार पुलिस वर्दी में नहीं बल्कि बारातियों के भेस में निकली थी। क्योंकि रमेश कालिया एक शातिर गैंगस्टर भी था। इम्तियाज कालिया की बिल्डिंग में दाखिल होता है और जेब से निकालकर उसे 40 हजार रुपए की एक गड्डी देता है। ये गड्डी देखकर रमेश कालिया काफी नाराज़ हो जाता है। इतने में बारातियों के भेस में यूपी पुलिस दाखिल होती है और करीब 20 मिनट की मुठभेड़ में कालिया और उसके दो साथी ढेर कर दिए जाते हैं।