UPSC: यूपी के पीलीभीत जिले के एक छोटे से गांव में जब नुरुल हसन पैदा हुए, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आगे चलकर ये आईपीएस बनेंगे वो भी वैज्ञानिक की नौकरी छोड़कर। नुरुल के बचपन से जो संघर्ष शुरू हुआ वो यूपीएससी पास करने तक चला।

संघर्ष की शुरूआत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के हररायपुर गांव के रहने वाले नुरुल हसन के परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही खराब थी। दिल्ली नॉलेज ट्रैक के अनुसार पिता फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी थे। मां घरेलू महिला थीं और उनसे दो छोटे भाई थे। पैसे की तंगहाली के बीच नुरुल का बचपन बीता। गांव में ही उनकी शुरूआती पढ़ाई भी हुई। जब वो क्लास छह में थे तब जाकर ए,बी,सी, डी… सीखा। यही कारण रहा कि उनकी अंग्रेजी शुरूआत में काफी कमजोर रही।

जब किया क्लास में टॉप: नुरुल हसन ने तब दसवीं में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त करके स्कूल टॉप किया था। जब उनके पिता को नौकरी मिल गई, तो परिवार गांव छोड़, बरेली में शिफ्ट हो गया। बरेली से ही उन्होंने 12वीं किया। जहां 75 प्रतिशत अंक आए थे। बरेली में वो एक झुग्गी बस्ती में रहते थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने या उनके परिवार ने कभी पढ़ाई बंद करने के बारे में नहीं सोचा।

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई- 12वीं के बाद हसन का चयन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बीटेक के लिए हो गया। लेकिन तब उनके पास फीस देने के लिए भी पैसे नहीं थे। तब उनके पिता ने अपनी गांव की जमीन बेच दी। जिसके बाद उनकी फीस भरी गई और पढ़ाई शुरू हो पाई। यहां से पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई। इस नौकरी से भी उनके परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल था।

जब बने वैज्ञानिक- इसके बाद उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा आयोजित एक परीक्षा का फॉर्म भरा और ये परीक्षा पास करने के बाद उन्हें एक वैज्ञानिक के रूप में नियुक्ति मिल गई। यहां से सबकुछ ठीक चल रहा था। दोनों छोटे भाई पढ़ाई कर रहे थे और घर की स्थिति भी ठीक हो चली थी। लेकिन उनका मन यहां से भी उचट गया और वो यूपीएससी की ओर मुड़ गए।

और मार ली बाजी- नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी करना काफी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब भी मौका मिलता पढ़ाई शुरू कर देते। 2013 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की थी और मेहनत की बदौलत 2015 में उन्होंने यूपीएससी क्लियर कर लिया। यूपीएससी में उन्होंने 625 रैंक हासिल किया और उन्हें आईपीएस के लिए चुन लिया गया।