Woman Cop Attacked: उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) की एक महिला कांस्टेबल पर सरयू एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में जानलेवा हमले और उसके “खून से लथपथ” हालत में पाए जाने के बाद सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने आरपीएफ को “अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम” रहने के लिए जमकर फटकार लगाई।

छुट्टी वाले दिन देर शाम अपने आवास पर चीफ जस्टिस ने स्वतः संज्ञान लेकर की सुनवाई

चीफ जस्टिस दिवाकर ने छुट्टी वाले दिन यानी रविवार को देर शाम अपने सरकारी आवास पर बैठक कर सरयू एक्सप्रेस में महिला कांस्टेबल पर हमले के संबंध में व्हाट्सएप संदेश मिलने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। उन्होंने अपनी और जस्टिस श्रीवास्तव की एक दो सदस्यीय पीठ के गठन का निर्देश दिया था। सुनवाई के बाद पीठ ने राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) को 13 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक अपनी जांच पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

न केवल महिलाओं के खिलाफ, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ अपराध है यह घटना

हाई कोर्ट ने कहा, “मौजूदा घटना स्पष्ट रूप से भारतीय रेलवे अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को दर्शाती है। इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा बल भी यात्रियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों और विनियमों को प्रभावी बनाने में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। वर्तमान घटना न केवल महिलाओं के खिलाफ अपराध है, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ है और यह महिलाओं के पूरे मनोबल को तबाह कर देती है।”

लखनऊ के केजीएमसी अस्पताल में चल रहा इलाज, जीआरपी ने कहा- हालत स्थिर

यूपी पुलिस की घायल महिला कांस्टेबल की पहचान उजागर नहीं की गई है। 30 अगस्त को अयोध्या स्टेशन पर सरयू एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में वह खून से लथपथ हालत में बेहोश पाई गई थी। उसके चेहरे पर किसी धारदार हथियार से हमला किया गया था और उसकी खोपड़ी पर दो फ्रैक्चर हुए थे। जीआरपी ने कहा कि उसे लखनऊ के केजीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी हालत अब स्थिर है।

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पुलिस ने कहा – अब तक यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं है, आगे की जांच जारी

महिला कांस्टेबल के भाई की लिखित शिकायत के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 332 (एक लोक सेवक को उनके कर्तव्य से रोकने के लिए जानबूझकर नुकसान पहुंचाना), 353 (एक लोक सेवक को उनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने कहा कि अब तक यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।