वाराणसी शहर में 10 से 12 साल की उम्र के चार दलित बच्चों को किताबें और नोटबुक देने का वादा करके उनका यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 57 वर्षीय एक सामाजिक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया है। स्थानीय पुलिस ने बताया कि बच्चों के परिवारों के अनुसार आपराधिक घटना जून में हुई थी, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद गुरुवार को प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई।
पीड़ित बच्चों के परिवारों का आरोप- पुलिस ने शुरू में दर्ज नहीं किया मामला
पीड़ित बच्चों के परिवारों ने आरोप लगाया कि आरोपियों के घर के बाहर उनके विरोध प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने शुरू में मामला दर्ज नहीं किया था। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आरोपियों ने बच्चों को हमले के बारे में बताने पर उनके माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी थी। पीड़ित के परिवार ने काफी मुश्किलों के बाद यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मामले का संज्ञान लेने की गुहार लगाई थी।
पीड़ित बच्चों में से एक की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत
पीड़ित बच्चों में से एक की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एक एनजीओ चलाने वाले 57 साल के सामाजिक कार्यकर्ता पर गुरुवार को आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और 506 (आपराधिक धमकी), बच्चों की सुरक्षा के तहत मामला दर्ज किया गया था। वाराणसी सर्कल ऑफिसर प्रवीण सिंह ने कहा कि इसमें बच्चों के साथ यौन अपराध निषेध कानून (POCSO) और SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया दलित बच्चों के शोषण का आरोपी
वाराणसी सीओ सिंह ने बताया कि इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। सीओ के मुताबिक आरोपी का दावा है कि वह शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को किताबें और नोटबुक मुहैया कराता है। उसने मामले को लेकर फिलहाल अपने बचाव में कोई सफाई नहीं दी है। इस मामले को लेकर वाराणसी शहर में कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को लेकर इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।