उत्तर प्रदेश के एटा से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां अपहरण और गैंगरेप से जुड़े एक संवेदनशील मामले की सुनवाई के दौरान एक 25 वर्षीय व्यक्ति को विशेष पॉक्सो अदालत में रील बनाते और उसे इंस्टाग्राम पर अपलोड करते हुए पकड़ा गया। इसे “माफी योग्य काम नहीं” करार देते हुए, अदालत ने उस व्यक्ति को 15 दिनों के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यह घटना शुक्रवार को एटा में हुई। कांस्टेबल विनीत कुमार ने स्थानीय निवासी इस युवक को देखा, जो आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम के तहत एक अलग मामले में पेश होने के लिए अदालत परिसर में था। जब कुमार ने उस व्यक्ति को चुपचाप रील बनाते देखा, तो उन्होंने तुरंत विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम), नरेंद्र पाल राणा को सूचित किया।
इस उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए, न्यायाधीश ने उस व्यक्ति का फोन जब्त करने का आदेश दिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने उसे एक घंटे के भीतर अपना जवाब देने को भी कहा।
अपने बचाव में, शख्स ने दावा किया कि यह “गलती से हुआ क्योंकि उसका मोबाइल अपने आप वीडियो बनाने लगा था”। न्यायाधीश ने इसे “बेकार स्पष्टीकरण” माना और एक घंटे बाद सजा सुना दी।
पांच पृष्ठों के आदेश में, न्यायाधीश राणा ने कहा: “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, उसे पोक्सो अधिनियम की धारा 23 (4) और धारा 18 के तहत दंडित करना न्यायसंगत और उचित होगा।”
पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 23 (4) धारा 23 (1) या 23 (2) का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान करती है, जो मीडिया या अन्य माध्यमों से बाल पीड़ित की पहचान या उसकी पहचान उजागर करने वाली किसी भी जानकारी के प्रकाशन या प्रसार पर रोक लगाती है।