70 के दशक में बंबई के सिनेमाघरों के बाहर एक युवक फिल्मों की टिकट ब्लैक किया करता था। उसको जानने वाले लोग उसे प्यार से नाना कहते थे, हालांकि उसका असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे था। जुर्म की दुनिया में इस राजेंद्र निखलजे को छोटा राजन के नाम से जानते हैं। मिथुन चक्रवर्ती उसका पसंदीदा स्टार था। उसे मिथुन की स्टाइल, अंदाज, हेयर स्टाइल, डांस और एक्शन सब पसंद था। 1979 में एक फिल्म रिलीज हुई जिसका नाम था सुरक्षा और इसमें नाना का फेवरेट एक्टर मिथुन मुख्य भूमिका में था।
इस फिल्म से राजेंद्र की दीवानगी और अधिक बढ़ गई। मिथुन के प्रति राजेंद्र उर्फ नाना की दीवानगी का आलम यह था कि जल्द ही वो उसी अभिनेता की तरह के कपड़े पहनने लगा था। यहां तक कि उसने अपनी हेयर स्टाइल भी ठीक वैसी ही कर ली थी।
छोटा राजन ने अपराध की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई थी। अंडरवर्ल्ड में वो दाऊद इब्राहिम में छत्रछाया में पहुंचा था। लेकिन कुछ साल बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए और वो दुश्मनी की राह पर चल पड़े। जिस दाऊद के सामने कोई जुबान नहीं खोलता था, राजन से उससे बगावत भी की और उसको चुनौती भी दी थी।
ऐसे शुरू हुई मिथुन के फैन की कहानी- मशहूर पत्रकार हुसैन जैदी अपनी किताब ‘बायकला टू बैंकॉक’ में लिखते हैं कि राजेंद्र मुंबई में ही पैदा हुआ था। एक तो गरीबी ऊपर से पांच भाई-बहन। पढ़ाई छोड़ वह काम-धंधे पर लग गया। इसी उम्र में उसने पहली बार मिथुन की फिल्म देखी। फिल्म देखते ही वह उसका फैन हो गया। उस दौर में मिथुन का स्टारडम और फिल्में दोनों सफलता के शिखर पर थे।
फिल्में देखते-देखते राजेन्द्र मिथुन की फिल्मों के ही टिकट को ब्लैक में बेचने लगा। तब मिथुन की फिल्में टिकट काउंटर खुलने के कुछ देर बाद ही हाऊसफुल हो जाती थी। हाऊसफुल का बोर्ड लगते है ही राजेन्द्र जैसे टिकट ब्लैक करने वालों की चांदी हो जाती और जमकर टिकट ब्लैक में बिकता था। इसी बीच मिथुन की एक फिल्म आई साहस, शुक्रवार को शो की शुरूआत ही हाउसफुल से हुई। टिकटों के लिए मारा-मारी हो रही थी, और राजेन्द्र समेत कई टिकट ब्लैकमेलरों के लिए ये सोने पर सुहागा जैसा था।
उस दिन सिनेमा हॉल के बाहर जबरदस्त भीड़ और अफरा-तफरी का महौल था। किसी प्रकार की अनहोनी ना हो इसके लिए पुलिस की तैनाती कर दी गई थी। अगले दिन फिर भीड़ उमड़ी और फिर टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग चालू हुई। इस दौरान आपस में ही ब्लैकमेलर भिड़ गए। छोटी-मोटी झड़पें भी हुई। अब तक चुप बैठी पुलिस ने अपनी लाठी उठाई और ब्लैकमेलरों की ओर दौड़ पड़ी। पुलिस को देख सारे बदमाश भाग खड़े हुए।
राजेन्द्र की बदली जिंदगी- अब यहां वो घटना होती है जिससे राजेन्द्र अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एंट्री कर लेता है। हुआ यूं कि अपने साथी को पिटता देख राजेन्द्र ने एक पुलिस वाले से लाठी छीनी और उसी पर टूट पड़ा। इस घटना में राजेन्द्र ने पांच कॉन्स्टेबलों को इतना पीटा कि उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ गया।
इस मामले में राजेन्द्र को गिरफ्तार कर लिया गया। राजेन्द्र की बहादुरी के कारनामे जब डॉन राजेन्द्र नायर उर्फ बड़ा राजन के पास पहुंची तो उसे ये दिलेर लड़का भा गया। उसने अपने खास गूंगा को इनकी रिहाई के लिए बोल दिया। कुछ दिनों के भीतर ही राजेन्द्र जेल से छुट गया और बड़ा राजन की शरण में चला गया।
राजन के सहारे राजेन्द्र अब जयराम की दुनिया में पहुंच चुका था। पुलिस वाले की पीट कर अब वो इलाके में एक पहचान भी बना चुका था। कहा जाता है कि 70-80 के दशक में ये गैंग, दाऊद इब्राहिम गैंग से भी ज्यादा ताकतवर था। समय ने करवट बदला और बड़ा राजन का कट्टर दुश्मन अब्दुल कुंजू ने उसकी हत्या करवा दी।
बन गया छोटा राजन- राजेन्द्र के लिए बड़ा राजन का मारा जाना, बहुत बड़ा सदमा था, लेकिन समय का काल चक्र कहिए इसी घटना ने राजेन्द्र को छोटा राजन बना दिया। राजन नायर की मौत के बाद गैंग का भार राजेन्द्र के कंधों पर आ गया, जहां उसे छोटा राजन कहा जाने लगा। छोटा राजन जब इस कुर्सी पर बैठा तो उसका मेन मकसद अब्दुल कुंजू को मार कर बदला लेना था। छोटा राजन से डरकर अब्दुल कुंजू पुलिस की शरण में चला गया, राजन फिर भी नहीं माना और उसपर दो हमले किए, लेकिन अब्दुल कुंजू की किस्मत अच्छी थी कि वो दोनों बार बच गया।
अब तक छोटा राजन इतना नाम कमा चुका था कि इसकी गूंज दाऊद इब्राहिम तक पहुंच गई। दाऊद इब्राहिम ने राजन को मिलने बुलाया और अपने साथ गैंग में शामिल कर लिया। यहां छोटा राजन जब पहुंचा तो गैंग का एक तरह से नंबर दो हो गया। दाऊद ने उसके जरिए पूरी मुम्बई पर हुकूमत करना शुरू कर दिया।
दाऊद से दुश्मनी- दाउद इब्राहिम के साथ आने के बाद भी छोटा राजन अपने बॉस की मौत का बदला लेना नहीं भूला और मौका मिलते ही उसने क्रिकेट के मैदान में अब्दुल कुंजू को घेरकर उसपर जमकर गोलियां बरसाईं। इस हमले में कुंजू की मौत हो गई और राजन का बदला पूरा हो गया। इसके बाद दाऊद ने राजन को काम करने के लिए दुबई बुला लिया। दाऊद और राजन यहीं से गैंग को ऑपरेट करने लगे। अबतक दाऊद के गैंग में छोटा शकील की एंट्री हो चुकी थी। शकील, छोटा राजन के अंडर में कभी भी काम नहीं करना चाहता था।
मौका मिलते ही शकील और उसकी गैंग ने दाऊद को भड़काना शुरू कर दिया, लेकिन दाऊद को राजन पर काफी भरोसा था, इसलिए उसने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक घटना ऐसी हुई कि छोटा राजन का कद दाऊद की नजरों में कम गया। दरअसल दाऊद अपने भाई की मौत का बदला लेने का काम राजन को सौंपा था, जिसमें देरी की वजह से शकील ने बाजी मार ली और उसने दाऊद के भाईयों के हत्यारों को मौत के घाट उतार दिया।
इसी दौरान एक ऐसा समय आया जब छोटा राजन को अपने चहेते अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से मिलने का मौक मिला। एक पार्टी में जब वो मिथुन से मिला तो मिलते ही उनसे लिपट गया। मिथुन के साथ छोटा राजन ने खाना खाया और पूरे समय तक उनकी बांह को थामे रखा। राजन के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा था। मिथुन के साथ राजन ने फोटो भी खिंचवाए।
बम ब्लास्ट के बाद बदल गई कहानी- 1993 में हुए मुम्बई ब्लास्ट में भी दाऊद के साथ राजन भी शामिल था। उसने मीडिया के सामने भी अपना पक्ष रखने की कोशिश की थी। बम धमाकों में नाम आने से राजन परेशान था, इसी मौके का फायदा छोटा शकील ने उठाया और दाऊद के सामने उसे गद्दार सिद्ध कर दिया। जिसके बाद राजन ने दाऊद के लिए काम करना बंद कर दिया और खुद का गैंग चलाने लगा। राजन अब भारत लौटना चाहता था लेकिन उसका पासपोर्ट शेखों के पास था।
इन्हीं दिनों दाऊद ने एक पार्टी का आयोजन किया। इसमें छोटा राजन को भी बुलाया गया था। छोटा राजन भी जाने के लिए तैयार हो ही रहा था कि एक फोन आया और उधर से बोला कि आज तुम्हें मारने की प्लानिंग है। छोटा राजन पार्टी में ना जाकर सीधे किसी तरह से मलेशिया के लिए निकल गया। इसके बाद शुरू हुई राजन और दाऊद गैंग के बीच वो गैंगवार जिसमें कई लोगों की जानें चली गईं।
कभी छोटा राजन पर दाऊद हमला करवाता तो कभी राजन, मुम्बई में उसके शूटरों को मरवा देता था। कई साल तक इस तरह के गैंगवार के बाद 2015 में छोटा राजन को इंडोनेशिया में गिरफ्तार कर लिया गया। जहां से उसे भारत लाया गया। यहां जब छोटा राजन लाया गया तो उस पर हत्या, वसूली, तस्करी, समेत 70 मामले दर्ज थे। पत्रकार ज्योतिर्मय डे मर्डर केस में छोटा राजन को अजीवन उम्र कैद की सजा मिली। तब से छोटा राजन दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।