उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल अपराध व अपराधियों के लिहाज से काफी चर्चा में रहा। मुख्तार (Mukhtar Ansari), बृजेश सिंह जैसे माफियाओं के नाम तो जैसे वहां के लोगों की जुबान पर रटे से हैं। लेकिन पूर्वांचल में एक और बड़ा अपराधी हुआ जिसने अपने कारनामों से बड़े-बड़े बाहुबलियों को पीछे छोड़ दिया। ऐसे में आज हम उस 25 साल की डॉन की कहानी लेकर आये हैं जिसका नाम था श्री प्रकाश शुक्ला।

यूपी के गोरखपुर के मामखोर गांव में जन्मा श्री प्रकाश (Shriprakash Shukla) वैसे तो पहले आम किशोरों की ही तरह था लेकिन कद-काठी ठीक होने के चलते वह पहलवानी करने लगा। कई बार स्थानीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिताओं में दमखम भी दिखाया था। लेकिन पहली बार पुलिस रिकॉर्ड में नाम तब सामने आया, जब 20 साल की उम्र में गांव के ही एक युवक को उसने इसलिए मार डाला था क्योंकि उस लड़के ने शुक्ला की बहन के साथ बद्तमीजी की थी। इसके बाद शुक्ला विदेश भाग गया।

कल्याण सिंह की ली थी सुपारी: जब कुछ समय बाद श्री प्रकाश देश लौटा तो उसे पड़ोसी राज्य बिहार के मोकामा में अच्छा-खासा नाम रखने वाले सूरजभान का संरक्षण मिल गया। फिर उसी के इशारे पर देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा नेपाल में भी उसने गैरकानूनी धंधा शुरू कर दिया। लेकिन सबसे बड़ा कांड तो श्री प्रकाश ने तब किया जब उसने सीएम कल्याण सिंह (CM Kalyan Singh) की सुपारी ले ली। बताया जाता है कि शुक्ला ने यह डील करीब 6 करोड़ रुपये में तय की थी।

रंगबाज और अय्याश था श्री प्रकाश शुक्ला: समय जैसे-जैसे बदला अखबार की कतरन उसी की ख़बरों से भरना शुरू हो गई। लेकिन श्री प्रकाश को रंगबाजी के साथ अय्याशी की भी आदत लग चुकी थी। जाहिर है कि वह जिस बैकग्राउंड से आता था, उसे इन सब का शौक लगना लाजमी था। थोड़े ही समय में श्री प्रकाश को महंगी गाड़ियां, सोने की जंजीरे, बड़े होटल और महंगी कॉलगर्ल्स उसकी मजबूरी बन चुकी थी। शुक्ला को इन सबके अलावा मोबाइल फोन (Mobile) का बड़ा शौक था। एक समय था जब कई सारे फोन और करीब 14 सिम कार्ड यूज करता था।

शाही को बीच लखनऊ में भून दिया था: जिस प्रकार शुक्ला अपराध की दुनिया में अपना नाम बना रहा था ऐसे में उसके रिश्ते राजनीति में भी पक्के होते चले गए थे। लेकिन लखनऊ में हल्ला तो तब मच गया, जब साल 1997 में उसने विधायक वीरेन्द्र शाही (Virendra Shahi) को लखनऊ शहर के बीचो-बीच गोलियों से भून दिया।

गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा था पर मारा गया: साल 1998 में पुलिस को पता चला कि वह वसंत कुंज से गाजियाबाद (Ghaziabad) अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा है। फिर क्या दिल्ली-गाजियाबाद स्टेट हाइवे पर पुलिस ने अपना जाल बिछा दिया। इसके बाद दोपहर 2 बजे उसकी नीली सिएलो कार मोहननगर फ्लाईओवर के पास दिखी, पर शुक्ला पुलिस को देखकर खतरा भांप गया और गाड़ी को हाइवे से हटा लिया। इसके बाद 20 मिनट तक चली मुठभेड़ में उसका और उसके साथियो का काम तमाम हो गया।