इधर तमिलनाडु में एक बैठक के दौरान दलित महिला को जमीन पर बैठाया गया। बैठक में शामिल सभी लोगों को कुर्सी दी गई थी लेकिन दलित महिला को कुर्सी नहीं दी गई थी। बैठक में जमीन पर बैठी दलित महिला का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले में केस भी दर्ज किया गाया है। इधर इस मामले में पंचायत सचिव को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि यह मामला Cuddalore जिले का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक Therku Thittai पंचायत की अध्यक्ष राजेश्वरी सर्वण कुमार को जबरदस्ती इस बैठक में जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। राजेश्वरी पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखती हैं। इस मामले में पुलिस ने पंचायत के उपाध्यक्ष मोहन राज के खिलाफ भी एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
बताया जा रहा है कि यह बैठक जुलाई के महीने में आय़ोजित की गई थी। इस बैठक का वीडियो हाल ही में वायरल हुआ है। ‘The Hindu’ से बातचीत करते हुए जिला कलेक्टर चंद्र शेखर शखमूरी ने कहा कि इस मामले में प्रशासन को शुक्रवार को जानकारी दी गई है। पंचायत सचिव को इस मामले में सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक के साथ वो खुद जांच के लिए पंचायत जाएँगे।
इधर इस मामले में पीड़िता ने कहा कि ‘मुझे गणतंत्र दिवस पर झंडा नहीं फहराने दिया गया। पंचायत उपाध्यक्ष ने कहा कि उनके पिता झंडा फहराएंगे। वो और वार्ड के अन्य सदस्यों ने मेरा अपमान किया और मुझे तथा एक अन्य दलित वार्ड सदस्य को जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया।’
बता दें कि 20 मार्च 2018 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के हो रहे दुरुपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद संसद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. अब पहले के मुताबिक ही एफआईआर दर्ज करने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों या नियुक्ति प्राधिकरण से अनुमति जरूरी नहीं होगी।