भारत में अब तक कई सारे चोर और ठग हुए जिन्होंने ताजमहल, लालकिला, संसद और न जाने क्या-क्या बेच दिया। इसी क्रम में आज आपको ऐसे चोर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे खुद दिल्ली पुलिस ने “सुपर चोर” के नाम से नवाजा। देश के इस सुपर चोर का नाम असली नाम देवेंदर सिंह है लेकिन अधिकतर लोग उसे बंटी के नाम से जानते हैं।

मूलतः दिल्ली के रहने वाला देवेंदर सिंह बचपन से ही उद्दंड स्वभाव का रहा। पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगा तो घर पर मार खाता। एक बार 9वीं में फेल हुआ तो पिता ने डांट दिया और फिर बंटी ने घर छोड़ दिया। साल 1993 में 14 साल के बंटी ने पहली चोरी की और जब पुलिस ने पकड़ा तो चकमा देकर फरार हो गया। इसके बाद तो देश के अलग-अलग राज्यों समेत विदेशों में भी चोरियों को अंजाम दिया।

पुलिस के मुताबिक वह अक्सर रात में 2 बजे के बाद चोरी को अंजाम देता था। बंटी रेकी में माहिर रहा और जिस घर में घुसा खाली हाथ नहीं लौटा। इन्हीं वारदातों के बीच बंटी को महंगी गाड़ियों और एंटिक चीजों का शौक लगा। बताया जाता है कि बंटी ने सिर्फ एक पेचकस के दम पर 500 से ज्यादा चोरियों को अंजाम दिया। हालांकि, उसने कभी किसी वारदात में इंसान को चोट नहीं पहुंचाई।

साल 2003 में जब बंटी को दिल्ली पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया तो उसके पास से करोड़ों की कीमत का सामान बरामद हुआ था। वह खुद को सेलिब्रिटी समझता और चोरी के सारे पैसे अय्याशी और शौक पूरे करने में खर्च कर देता था। बंटी ने भारत के बाहर श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों में चोरी की थी। हालांकि, उसे 2007 में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।

इसके बाद बंटी के ऊपर साल 2008 में एक फिल्म ओए लकी लकी ओए (Oye Lucky! Lucky Oye!) भी आई। फिर जब 2010 में बंटी जेल से बाहर आया तो वह कंगाल हो चुका था। जब घर गया तो किसी ने मदद नहीं की फिर उस पुलिस वाले के पास पहुंचा, जिसने उसे गिरफ्तार किया गया। जहां उसे दोबारा अपराध न करने की शर्त पर थोड़ी मदद भी दी गई, ताकि गुजर-बसर हो जाए।

इसी साल वह चर्चित रियलिटी शो “बिग बॉस” के चौथे सीजन में पहुंचा लेकिन उसकी हरकतों से तंग आकर उसे वहां से भी निकाल दिया गया। बिग बॉस के बाद बंटी गायब हो गया और तीन साल बाद उसका नाम केरल के एक कारोबारी के घर में हुई चोरी में आया। साल 2013 में चोरी के 1 महीने बाद उसे पुणे से अरेस्ट किया गया और फिर जेल भेज दिया। इसके बाद साल 2017 में उसे ‘हैबिचुअल चोर’ करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई।