2010 बैच की महिला IPS अफसर सिमाला प्रसाद की पोस्टिंग जब मध्य प्रदेश के डिंडौरी में हुई तो इस इलाके में उन्होंने अपने काम से अपनी अलग पहचान बना ली। नक्सली प्रभावित इस इलाके में सिमाला प्रसाद बेखौफ होकर अपराधियों से लोहा लेती हैं यहीं वजह से इस तेज-तर्रार अफसर के नाम से गुंडे, बदमाश खौफ खाते हैं। सिमाला प्रसाद के पिता डॉक्टर भागीरथ प्रसाद पूर्व आईपीएस और सांसद रहे हैं। वहीं उनकी मां मेहरुन्निसा परवेज जानी-मानी साहित्यकार रही हैं। मेहरुन्निसा को उनके उल्लेखनीय काम के लिए पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है।
सिमाला प्रसाद के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आईपीएस बनने के लिए किसी भी कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया, बल्कि सेल्फ स्टडी के जरिये मुकाम हासिल किया है। भोपाल के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में पीजी करने वालीं सिमाला प्रसाद गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं। सिमाला प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसफ कोएड स्कूल ईदगाह हिल्स में हुई। उसके बाद स्टूडेंट फॉर एक्सीलेंस से बीकॉम और बीयू से पीजी करके पीएससी परीक्षा पास की। पहली पोस्टिंग डीएसपी के तौर पर हुई थी। इसी नौकरी के दौरान उन्होंने आईपीएस की तैयारी करके उसमें सफलता पाई। सिमाला का जन्म 8 अक्टूबर 1980 भोपाल में हुआ।
भोपाल से ताल्लुक रखने वाली सिमाला प्रसाद विलक्षण प्रतीभा की धनी हैं। सिमाला प्रसाद बचपन से ही एक्टिंग का शौक रखती थीं। अपने टैलेंट के दम पर उन्हें बॉलीवुड की फिल्म में काम करने का मौका भी मिला। सिमाला प्रसाद ने फिल्म अलिफ में डायरेक्टर जैगाम इमाम और अली की बहन शम्मी का रोल निभाया था। इस फिल्म में मदरसे से स्कूल तक की कहानी को दर्शाया गया था। विशेष रूप से तालीम की अहमियत को बताती फिल्म अलिफ को लोगों ने सराहा था।
उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि दिल्ली में फिल्म निदेशक जैगाम से उनकी मुलाकात हुई थी। वो अपनी फिल्म अलिफ के लिए किरदार तलाश रहे थे। जिसमें उन्होंने मुझे चांस दिया…ये फिल्म समाज को एक अच्छा संदेश देती है, यही सोचकर मैंने फिल्म ज्वाइन कर ली।’ यह फिल्म नवंबर 2016 में ऑस्ट्रेलिया में इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ क्वींसलैंड में बतौर वर्ल्ड प्रीमियर प्रदर्शित हुई और फरवरी 2017 में रिलीज हुई।
बता दें कि आईपीएस सिमाला प्रसाद को कविता लेखन का भी शौक है। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन में पुलिस बल के लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए इन्होंने ‘मैं खाकी हूं’ कविता लिखी थी, जो काफी सराही गई थी। सिमाला ने कविता के जरिए यह बताने की कोशिश की कि कैसे पुलिसकर्मी मुसीबतों को झेलते हुए अपने कर्म पथ पर डटे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी यह कविता काफी शेयर की गई थी।

