अनंतकृष्णन जी, अरुण जनार्धनन
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मशहूर रेस्तरां चेन सरवन भवन के मालिक पी.राजगोपाल को उम्रकैद की सजा सुनायी है। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में सरवन भवन के मालिक को उम्रकैद की सजा सुनायी थी, अब सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की याचिका खारिज कर उसकी उम्रकैद की सजा पर अपनी मुहर लगा दी है। पी.राजगोपाल को यह सजा अपने ही एक कर्मचारी की हत्या का दोषी पाए जाने के मामले में सुनायी गई है। पी.राजगोपाल के साथ ही अदालत ने इस मामले में 8 अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा सुनायी। दरअसल पी.राजगोपाल (72 वर्ष) अपने एक कर्मचारी की पत्नी से तीसरी शादी करना चाहता था, इसके लिए ही उसने अपनी कर्मचारी की साल 2001 में हत्या करा दी थी।
चाय के स्टॉल से फूड चेन का मालिक बनने तक का सफरः पी.राजगोपाल ने अपने जीवन में कमाल की सफलता हासिल की और एक चाय विक्रेता से मशहूर फूड चेन का मालिक बनने का सफर तय किया। इस दौरान राजगोपाल ने जनरल स्टोर में हेल्पर की नौकरी भी की और बाद में एक जनरल स्टोर का मालिक भी बना। पी.राजगोपाल को अपने कर्मचारियों का बेहद ख्याल रखने के लिए भी जाना जाता था। बता दें कि राजगोपाल की फूड चेन में काम करने वाले लोगों को अच्छी तन्खवाह के साथ ही इलाज और बच्चों की शिक्षा की भी सुविधा मिलती थी। 5 साल पहले राजगोपाल ने अपनी आत्मकथा लिखी, जिसमें उसने बताया कि श्रवण भवन की पहली शाखा साल 1981 में चेन्नई के केके नगर में खोली थी। उसके बाद राजगोपाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देशभर के साथ ही सिंगापुर और कनाडा में भी सरवन भवन की शाखाएं खोली।
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तीसरी शादी के लिए की कर्मचारी की हत्याः राजगोपाल ने 2 शादियां की हुई हैं और तीसरी शादी करना चाहता था। तमिलनाडु पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पी.राजगोपाल को एक ज्योतिषी ने सलाह दी थी कि अपने कर्मचारी की बेटी से शादी करने से उसे सौभाग्य मिलेगा। यही वजह थी कि राजगोपाल ने साल 1999 में अपने कर्मचारी रामासामी की बेटी जीवाज्योति से शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन जीवाज्योति ने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद जीवाज्योति की शादी शांताकुमार के साथ हो गई। इसी बीच शांताकुमार को सरवन भवन में नौकरी मिल गई। इसके बाद राजगोपाल ने शांताकुमार से जीवाज्योति को छोड़ने को कहा, लेकिन उसने इंकार कर दिया। राजगोपाल ने बाद में दोनों का अपहरण करा लिया। जिसके खिलाफ शांताकुमार और जीवाज्योति ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी। अक्टूबर, 2001 में राजगोपाल ने शांताकुमार की अपहरण कराकर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने शांताकुमार का शव कोडईकनाल के टाइगर चोला के जंगलों से बरामद किया।
मीडिया में यह मामला आने के बाद राजगोपाल ने नवंबर, 2001 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। ट्रायल कोर्ट द्वारा राजगोपाल को 10 साल जेल की सजा सुनायी गई। इसके बाद मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा, जहां से राजगोपाल को उम्रकैद की सजा सुनायी गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राजगोपाल की उम्रकैद की सजा पर मुहर लगा दी है।